बंगाल में कांग्रेस को झटका: पार्टी सांसद TMC में हुई शामिल, ममता बनर्जी ने बनाया महासचिव

नई दिल्ली:  लोकसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए माल्दा (उत्तर) से पार्टी सांसद मौसम बेनजीर नूर ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया. दिवंगत कांग्रेस नेता एबीए गनी खान चौधरी की भतीजी नूर ने राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ में ममता बनर्जी से मुलाकात की जिसके बाद उनके शामिल होने की घोषणा की गयी. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की 42 सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी. नूर दूसरी बार लोकसभा पहुंची थीं. नूर राज्य में भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस के गठजोड़ की वकालत कर रही थीं. वह पिछले साल नवंबर में ममता बनर्जी से मिली थीं जिसके बाद से उनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें चल रही थीं. नूर के चाचा अबू हासिम खान चौधरी माल्दा (दक्षिण) से कांग्रेस सांसद हैं और वह तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्षधर हैं. नूर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं दीदी (ममता) से प्रभावित हूं. मैं राज्य के विकास के लिए उनके निर्देशों पर काम करुंगी. हमें भाजपा से मुकाबला करना है और मुझे पूरा भरोसा है कि तृणमूल कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सभी 42 सीटों पर जीत हासिल करेगी.” नूर के पार्टी में शामिल होने के बाद ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि वह पार्टी की महासचिव होंगी और उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर तथा माल्दा में पार्टी का कामकाज संभालेंगी. बनर्जी ने कहा, ‘‘वह कल से काम शुरू कर देंगी.” नूर के तृणमूल कांग्रेस में जाने पर कांग्रेस ने कहा कि तृणमूल राज्य में कांग्रेस को समाप्त करने की कोशिश कर रही है और इस तरह सांप्रदायिक भाजपा का रास्ता तैयार कर रही है. गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी की अगुवाई में विपक्ष की रैली कोलकाता में हुई थी. जिसमें कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और अभिषेक मनु सिंघवी भी थे शामिल थे. ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव  में बीजेपी-एनडीए के मुकाबले संयुक्त विपक्ष की वकालत कर रही हैं लेकिन इशारों-इशारों में वह खुद को नेता बताकर पीएम पद का दावेदार भी बताने से नहीं चूक रही हैं. अब इस विपक्ष के महागठबंधन में कांग्रेस की क्या भूमिका होगी, इस बात को भी ममता बनर्जी ने कांग्रेस सांसद मौसम बेनजीर नूर को अपनी पार्टी में शामिल कर जता दिया है. दरअसल ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नेता मानने के सवाल को हमेशा टाला है. इसलिए लगता है कि टीएमसी नेता राहुल गांधी की अगुवा मानने के लिए तैयार नहीं है.विपक्ष में सिर्फ ममता बनर्जी ही नहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा यह चुनाव के बाद ही तय होगा. कुल मिलाकर राहुल गांधी की ओर से यूपीए को मजबूत करने की कवायद अभी पूरी तरह से परवान चढ़ते नहीं दिख रही है. वैसे भी उत्तर प्रदेश में सपा-बीएसपी गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिली है.

Related Articles

Back to top button