Want to reach the heights of success in life: अगर आप जीवन में सफलता की ऊंचाई पर पहुंचना चाहते हैं, तो पढ़ें संस्कृत के इन 5 श्लोकों को

 

Want to reach the heights of success in life: अगर आप जीवन में सफलता की ऊंचाई पर पहुंचना चाहते हैं, तो पढ़ें संस्कृत के इन 5 श्लोकों कोWant to reach the heights of success in life: जीवन में सफलता पाने के लिए  हर इंसान अपने जीवन में कोशिश करता है. कभी ग्रह योग, भाग्‍य और अपनी कड़ी मेहनत से इंसान सफलता के उस मुकाम पर पहुंचता है, जहां व्‍यक्ति अपने जीवन में आनंद और समृद्धि का अनुभव करता है.

पर कभी-कभी इंसान के पास सब कुछ होने के बाद भी वह सफलता की ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच पाता है. वह निराशा के अन्‍धकार में जाने लगता है. वह अपने जीवन में सफल होने के लिए हर उपाय करता है. लेकिन सफलता पाने के लिए मेहनत, समर्पण, और आत्मविश्वास के अलावा व्यक्ति को अपने गुणों को पहचानने और सही तरीके से उनका उपयोग करने की भी आवश्यकता होती है.

हमारे शास्त्रों में श्लोकों के जरिये कई ऐसे गूढ़ रहस्य बताये गए हैं, जो किसी व्यक्ति को सफलता की राह दिखा सकते हैं.इसलिए, हम आपको यहाँ शास्त्रों में वर्णित कुछ ऐसे श्लोक बताएँगे, जो आपको सफलता पाने में मदद करेंगे…

Want to reach the heights of success in life: अगर आप स्‍टूडेंट हैं तो इस श्‍लोक का पालन  करें

 काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥

इस श्लोक का अर्थ है कि एक विद्यार्थी मे यह पांच लक्षण होने चाहिए – कौवे की तरह जानने की चेष्टा करने वाला, बगुले की तरह ध्यान लगाने वाला यानि एकाग्र, कुत्ते की तरह निंद्रा लेने वाला जो हल्की सी आहट से जग जाता है, अल्पाहारी यानि कम खाने वाला और गृह-त्यागीhttp://सिर्फ भाग्‍य के भरोसे ना रहें

Want to reach the heights of success in life: लक्ष्‍य के लिए करें मेहनत

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशंति मुखे मृगाः॥

अर्थात, मेहनत करने से ही मन की इच्छा पूरी होती है, बैठे-बैठे हवाई किले बनाने यानि सिर्फ सोचने भर से नहीं। जैसे सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं चला जाता, बल्कि उसे भी भोजन के लिए मेहनत करना पड़ता है।

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Want to reach the heights of success in life: सिर्फ भाग्‍य के भरोसे ना रहें

उद्योगिनं पुरुषसिंहं उपैति लक्ष्मीः
दैवं हि दैवमिति कापुरुषा वदंति।
दैवं निहत्य कुरु पौरुषं आत्मशक्त्या
यत्ने कृते यदि न सिध्यति न कोऽत्र दोषः।

इसका अर्थ है कि मेहनती तथा साहसी लोगों को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है. वो आलसी लोग हैं, जो कहते रहते हैं कि भाग्य में होगा, तो मिलकर ही रहेगा. भाग्य के सहारे मत बैठो बल्कि जितनी तुम्हारे पास योग्यता और शक्ति है, अपना उद्यम करते रहो. यदि प्रयत्न करने पर भी सफलता नहीं मिलती है, तो इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं.

Want to reach the heights of success in life: आलस्‍य का करें त्‍याग

अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥

इस श्लोक का अर्थ है कि आलसी इन्सान को विद्या कहाँ, विद्याविहीन को धन कहाँ, धनविहीन को मित्र कहाँ और मित्रविहीन को सुख कहाँ! अथार्त जीवन में इंसान को कुछ प्राप्त करना है, तो उसे सबसे पहले आलस वाली प्रवृति का त्याग करना होगा.

Want to reach the heights of success in life: हमेशा चिंतित ना रहें

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता!
निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता !!

आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः।
देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥

उपर वाले श्लोक का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के बर्बाद करने के लिए ये 6 लक्षण काफी होते हैं – नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत।

दूसरे श्‍लोक में अर्थात, हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। प्रगति को न रोकने वाले और सदैव रक्षा में तत्पर देवता प्रतिदिन हमारी वृद्धि के लिए तत्पर रहें।

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