Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): भगवान नारायण के छठे अवतार हैं परशुराम,अक्षय तृतीया के विशेष दिन हुआ अवतरण

 Parashuram Katha(Akshaya Tritiya 2024): भगवान नारायण के छठे अवतार हैं परशुराम,अक्षय तृतीया के विशेष दिन हुआ अवतरण

Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्मदिन माना जाता है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार थे और अमर माने जाते हैं और आधुनिक समय में भी इस धरती पर मौजूद हैं. भगवान परशुराम को शक्ति, भक्ति और धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है.

माना जाता है कि परशुराम ने कई अन्यायी राजाओं का वध करके प्रजा को उनके अत्याचारों से बचाया था, इसलिए परशुराम को भगवान का दर्जा भी दिया जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि परशुराम ने कुल 21 बार क्षत्रिय वंश का संहार किया था और धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था.

 Parashuram Katha(Akshaya Tritiya 2024): कब हुआ परशुराम का जन्म?

परशुराम जी पहले पूर्ण अवतार हैं, जिन्‍हें चिरंजीवी माना गया है, इसीलिए उनकी उपस्थिति हर एक युग में मिलती है.इनका अवतार सतयुग के समापन और त्रेता युग के आरंभ के संधि क्षण में हुआ. वह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया थी. चूँकि उनका अवतार अक्षय है इसलिये यह तिथि अक्षय तृतीया कहलाई . इस तिथि का प्रत्येक पल शुभ होता है. उनका अवतार एक प्रहर रात्रि के शेष रहते हुआ इसलिये यह ब्रह्म मुहूर्त कहलाया. http://इस विशेष दिन के पीछे छिपी मान्यता

Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): महर्षि जमदग्नि थे पिता

अक्षय तृतीया से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है जो भगवान परशुराम के जन्म की ही है.भगवान परशुरामजी का अवतार ऋषिकुल में हुआ हैं. भगवान परशुराम जी के पिता महर्षि जमदग्नि हैं और माता रेणुका सूर्यवंशी प्रतापी सम्राट राजा रेणु की पुत्री हैं. भगवान परशुरामजी पांच भाई और एक बहन हैं. भगवान परशुरामजी के सात गुरू हैं.  पहली गुरू माता रेणुका हैं, दूसरे गुरु पिता महर्षि जमदग्नि. तीसरे गुरू महर्षि चायमान, चौथे गुरु महर्षि विश्वामित्र, पाँचवे गुरु महर्षि वशिष्ठ, छठें गुरु भगवान शिव और सातवें गुरु भगवान दत्तात्रेय हैं.

बचपन में भगवान परशुराम का नाम ‘रामभद्र’ या केवल ‘राम’ था, लेकिन भगवान शिव से उनका प्रसिद्ध शस्त्र ‘परशु’ प्राप्त करने के बाद से उन्हें परशुराम के नाम से ही जाना गया.

Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): भगवान शिव ने दिया वरदान

परशुराम की प्रारंभिक शिक्षा इनके दादा ऋचिकऔर पिता जमदग्नि से प्राप्त हुई. परशुराम को शास्त्रों का ज्ञान था. साथ ही परशुराम शस्त्र कला में निपुण थे. परशुराम को शस्त्र विद्या अपने मामा राजाऋषि से प्राप्त हुई. परशुराम ने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने परशुराम से कहा कि हे राम! मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं, बताओ तुम्हें क्या वरदान चाहिए. तब परशुराम ने कहा कि मुझे शस्त्र विद्या में निपुण होने का वर दीजिए तथा एक दिव्य अस्त्र प्रदान कीजिए. तब भगवान शिव ने अपनी कुल्हाड़ी फरसा दिया और श्रेष्ठ शस्त्र योद्धा बनने का वरदान दिया.

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Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): ऐसे मिला भगवान का दर्जा

भगवान शिव से प्राप्त फरसे के कारण राम से फिर नाम परशुराम पड़ा. शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह और कर्ण ने परशुराम से शस्त्र विद्या प्राप्त की थी. माना जाता है कि परशुराम ने कई अन्यायी राजाओं का वध करके प्रजा को उनके अत्याचारों से बचाया था, इसलिए परशुराम को भगवान का दर्जा भी दिया जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि परशुराम ने कुल 21 बार क्षत्रिय वंश का संहार किया था और धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था.

Parashuram (Akshaya Tritiya 2024): इस विशेष दिन के पीछे छिपी मान्यता

यह दिन अपने आप में ही सबसे शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन किया हुआ कोई भी कार्य सफल माना गया है. लोग खासतौर पर अपने जीवन की कोई नई शुरुआत या खुशी का पल इस दिन पर आयोजित कराते हैं. इस दिन बड़ी संख्या में विवाह करने की रीति भी शामिल है. माना गया है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों को संपूर्ण फल मिलता है. सभी मुरादें पूर्ण होती है. रीति अनुसार यदि व्रत एवं दान-पुण्य करके हवन-यज्ञ कराया जाए, तो सभी मनोकामनाएं सम्पूर्ण होती हैं.

केवल इच्छाएं ही नहीं, इस दिन भगवान लोगों की गलतियों को भी स्वीकार कर लेते है. यदि ज़िंदगी में कभी कोई भूल-चूक हो गई हो तो इस दिन भगवान से दिल से माफी मांगकर अपने अवगुणों को खत्म करने की मांग की जाती है. भगवान के चरणों में पिछली सारी गलतियों की क्षमा मांग कर अपने अवगुण अर्पित किए जाते हैं, और उसके स्थान पर भगवान से सदगुणों की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया के दिन प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं.  वृन्दावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में भी केवल इसी दिन ‘श्रीकृष्ण’ के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं. इस वर्ष यानि 2024 में यह शुभ दिन 10 मई को मनाया जाने वाला है.

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