Hanuman Janmotsav 2024: भगवान शिव को अपने 11वें अवतार में क्‍यों लेना पड़ा हनुमान रूप!

Hanuman Janmotsav 2024: भगवान शिव को अपने 11वें अवतार में क्‍यों लेना पड़ा हनुमान रूप!

Hanuman Janmotsav 2024: हिन्‍दू पंचाग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्‍मोत्‍सव मनाया जाता है. हनुमान जी को भगवान शंकर का अवतार मानते हैं. भगवान भोलेनाथ के 12 रूद्र अवतार हैं. जिनके बारे में धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है. जिनमें 11वें रुद्र अवतार महावीर हनुमान माने गए हैं.

कहा जाता है कि राम भक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए उनकी घोर तपस्या की थी और वर मांगा था. जिसके बाद भगवान शिव ने पवन देव के रूप में अपनी रुद्र शक्ति का अंश हवन कुंड में अर्पित कर दिया था. भगवान शिव द्वारा अर्पित की गई वही शक्ति माता अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई, और फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान का जन्म हुआ.

Hanuman Janmotsav 2024: भगवान राम की सेवा के लिए लिया यह रूप

एक बार भगवान शिव की इच्छा हुई कि पृथ्वीलोक पर चलकर भगवान राम के दर्शन किये जायें. उस समय भगवान राम बाल्यावस्था में थे और उनकी आयु लगभग 5 वर्ष की थी. लेकिन भगवान शिव चाहकर भी पृथ्वीलोक पर भ्रमण नहीं कर सकते थे. पृथ्वीलोक पर जाने के लिए उन्हें अपना रुप बदलना पड़ता. वो साक्षात शिव के भेष में नहीं जा सकते थे.

ऐसे में एक दिन भगवान शिव ने माता गौरी से कहा- जानती हो देवी पार्वती, मेरे राम ने पृथ्‍वी पर जन्म लिया है और उनके दर्शन कर और उनकी सेवा के लिए मन बेचैन हो रहा है. मेरी इच्छा हो रही है कि अब में यहां से चला जाऊं और जिस लोक में राम हैं वहीं मैं भी निवास करुं.

Hanuman Janmotsav 2024: भगवान शिव की इच्छा प्रभु राम के दर्शन की

यह सुनकर माता पार्वती विचलित हो गईं और दुखी हो गई . उनको दुखी देखकर भगवान शंकर को बहुत दुविधा हुई. एक तरफ उनको राम दर्शन की लालसा थी तो दूसरी तरफ मां पार्वती का मोह. तब भगवान शिव ने अपने ग्यारह रुद्रों का पूरा राज माता पार्वती को बताया और बोले- देखो पार्वती इन ग्यारह रुद्रों में से एक रूप वानर का अवतार आज मैं लेने वाला हूं. एक रुद्राक्ष में से आज एक रूप वानर  होगा जो बाद में हनुमान के रूप में जाना जायेगा. http://भगवान राम की सहायता के लिए लिया यह रूप

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Hanuman Janmotsav 2024: भगवान राम की सहायता के लिए लिया यह रूप

भगवान राम का जन्म श्रीहरि विष्णु के 7वें अवतार के रूप में धरती पर त्रेतायुग में हुआ. वहीं हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रूद्रावतार कहा जाता है. विष्णु जी के 7वें अवतार यानी भगवान राम का जन्म धरतीलोक पर असुरों के संहार के लिए मानव रूप में हुआ. लेकिन इससे शिवजी चिंतित हो गए और रामजी की सहायता के लिए उन्होंने स्वयं हनुमानजी के रूप में जन्म लेकर रामजी की सहायता की.

Hanuman Janmotsav 2024: 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी के 12 नाम

हनुमान जी ने अपना जीवन प्रभु श्री राम जी और माता सीता को समर्पित किया था. अमर और चिरंजीवी होने का वरदान भी हनुमान जी ने माता सीता से ही प्राप्त किया था. शिव का 11वां रूद्र (Rudra) अवतार महावीर हनुमान जी को महाकाल शिव का 11वां रुद्रावतार भी माना जाता है.

     हनुमान – जिनकी ठोड़ी टूटी हो

  • रामेष्ट – श्रीराम भगवान के भक्त
  • उधिकर्मण – उद्धार करने वाले
  • अंजनीसुत –अंजनी के पुत्र
  • फाल्गुनसखा – फाल्गुन अर्थात्अर्जुन के सखा
  • सीतासोकविनाशक – देवीसीता के शोक का विनाश करने वाले
  • वायुपुत्र –हवा के पुत्र
  • पिंगाक्ष – भूरी आँखों वाले
  • लक्ष्मण प्राणदाता –लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले
  • महाबली – बहुत शक्तिशालीवानर
  • अमित विक्रम – अत्यन्त वीरपुरुष
  • दशग्रीव दर्प: –रावण के गर्व को दूर करने वाले

Hanuman Janmotsav 2024:  भगवान शंकर के 12 अवतारों के नाम

सुप्रसिद्ध शिव महापुराण में देवों के देव महादेव शिव के अनेक अवतारों का वर्णन किया गया है. इस धर्मग्रंथ के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतार लिए थे।

  • वीरभद्र अवतार:भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष के यज्ञकुंड में देवी सती ने देहदाह किया था. शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया और उसका सिर काटकर मृत्युदंड दिया.
  • भैरव अवतार:शिव महापुराण में भैरव को परमात्मा देवाधिदेव शिव का पूर्ण रूप बताया गया है. इनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी में है।
  • अश्वत्थामा अवतार:महाकाव्य महाभारत के अनुसार गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम और भगवान शिव के अंशावतार थे. शतरुद्रसंहिता की मानें, तो अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं।
  • शरभावतार:इस अवतार में भगवान शिव का स्वरूप आधा हिरण और शेष शरभ पक्षी का था. पुराणों के अनुसार शरभ पक्षी आठ पैरों वाला जंतु, शेर से भी अधिक शक्तिशाली था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अवतार नृसिंह के क्रोध को शांत किया था।
  • ऋषि दुर्वासा:भगवान शिव के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है, जो अपने क्रोध के लिए जगविख्यात थे. कहते हैं, शिवातार ऋषि दुर्वासा जिस पर क्रोधित होते थे, उसका सदैव कल्याण होता था।
  • हनुमान अवतार:भगवान शिव का हनुमान अवतार शिव के सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है. इस अवतार में भगवान शिव ने एक वानर का रूप धरा था और प्रभु राम की भक्ति की थी।
  • वृषभ अवतार:भगवान शिव ने वृषभ अवतार विशेष परिस्थितियों में लिया था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अहंकारी पुत्रों का संहार किया था।
  • कृष्णदर्शन अवतार:भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है. यह अवतार पूर्णत: धर्म का प्रतीक माना जाता है।
  • अवधूत अवतार: भगवान शिव ने अवधूत अवतार लेकर स्वर्गाधिपति देवराज इंद्र के अंहकार को चूर किया था।
  • सुरेश्वर अवतार:भगवान शिव ने सुरेश्वर अवतार एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया।
  • किरात अवतार:किरात अवतार में भगवान शिव ने पाण्डुपुत्र धनुर्धारी अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी।
  • सुनटनर्तक अवतार: पार्वती के पिता हिमालयराज से उनकी पुत्री का हाथ मागंने के लिए भगवान शिव ने सुनटनर्तक वेष धारण किया था।
  • ब्रह्मचारी अवतार:दक्ष के यज्ञ में प्राण त्यागने के बाद जब सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया तो शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया. पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे थे।
  • यक्ष अवतार:यक्ष अवतार शिवजी ने देवताओं के अनुचित और मिथ्या अभिमान को दूर करने के लिए धारण किया था।

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