कोविड-19: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ठीक हुए मरीजों की कुल संख्या उपचाराधीन मामलों से 2,95,058 अधिक

नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि भारत में कोविड-19 के उपचाराधीन मामलों की संख्या 3,58,692 है जबकि पिछले 24 घंटे में करीब 18,000 मरीज ठीक हुए हैं जिससे अभी तक ठीक हुए मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 6,53,750 हो गई है। इस लिहाज से ठीक हुए मरीजों की कुल संख्या उपचाराधीन मामलों से 2,95,058 अधिक है। मंत्रालय ने कहा कि सभी उपचाराधीन मरीजों पर चिकित्सकीय ध्यान दिया जा रहा है, चाहे ऐसे मरीज घर पर पृथक हों या अस्पताल में भर्ती हों।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 17,994 मरीज ठीक हुए। ठीक होने की दर अब 63 प्रतिशत है।” बयान में कहा गया है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभावी प्रबंधन के लिए केंद्र के नेतृत्व में और केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों द्वारा कार्यान्वित समयबद्ध, सक्रिय और वर्गीकृत रणनीतिक पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि कोविड-19 के उपचाराधीन मामले काबू में रहें। बयान में कहा गया है कि अस्पताल आधारभूत ढांचे में विस्तार से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि में सहायता मिली है।

इन राज्यों द्वारा लॉकडाउन नए सिरे से लागू किये जाने के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि पाबंदियों का इस्तेमाल मामलों का शीघ्र पता लगाने और मृत्यु दर को कम करने संबंधी प्रबंधन के लिए निषिद्ध क्षेत्रों और बफर जोन में नियंत्रण, निगरानी और जांच पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाना चाहिए।

कोविड-19 प्रबंधन के आकलन में राज्य की सहायता करने और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए बिहार में एक केंद्रीय टीम तैनात की गई है। संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, निदेशक, डॉ एस के सिंह, निदेशक, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और डॉ नीरज निश्चल, एम्स, नयी दिल्ली में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर वाली एक टीम कल बिहार पहुंचेगी।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘निषिद्ध रणनीति का मुख्य जोर घर-घर सर्वेक्षण, परिधि नियंत्रण गतिविधियां, संक्रमितों के सम्पर्क में आये व्यक्तियों का समय पर पता लगाना, निषिद्ध और बफ़र ज़ोन की निगरानी के साथ ही गंभीर मामलों की मानक देखभाल के जरिये नैदानिक प्रबंधन पर होता है।’’

मंत्रालय ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नवीनतम जांच रणनीति सभी पंजीकृत चिकित्सकों को जांच की सिफारिश करने की अनुमति देती है। आरटी-पीसीआर जांच और रैपिड- एंटीजेन जांच से जांच किये जाने वाले नमूनों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली है।’’

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