शरद पवार के बाद कौन संभालेगा NCP? पार्टी को टूट से बचाने की कवायद तो नहीं!

महाराष्ट्र की राजनीति में आज के दिन बड़ी उथल पुथल देखने को मिली. अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण का विमोचन करने के मौके परशरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. देश की राजनीति में शरद पवार का कद बहुत बड़ा है. वह अपने कड़े फैसलों के लिए ही जाने जाते हैं. उनके हर फैसले के पीछे एक बड़ी वजह होती है.

महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में पवार के इस फैसले को सेफ एग्जिट के रूप में देखा जा रहा है. 82 साल के पवार के इस्तीफे के बाद एनसीपी ने नए अध्यक्ष को चुनने के लिए 15 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. शरद पवार के इस्तीफे के बाद अजित पवार के हाथों में एनसीपी की कमान जानी तय मानी जा रही है.

पवार ने ये फैसला क्यों लिया? 

2019 में ही पार्टी के कई नेता चाहते थे कि भाजपा और एनसीपी मिलकर सरकार बनाए। हालांकि, शरद पवार ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद उनके भतीजे अजित पवार ने पार्टी के फैसले से अलग हटकर देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार भी बना ली थी। तब अजित डिप्टी सीएम बने थे। हालांकि, एक दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शरद पवार के कहने पर कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने मिलकर महाविकास अघाड़ी का गठन किया था। तब एनसीपी के कई नेताओं ने इसको लेकर नाराजगी जताई थी। हाल के दिनों में भी पार्टी के कई नेताओं ने भाजपा के साथ आने के लिए सलाह दी थी।

परिवार के विवाद को समय से पहले खत्म करना: एनसीपी पर प्रभुत्व को लेकर पवार के घर में ही लड़ाई चल रही है। एक तरफ शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले हैं तो दूसरी ओर उनके भतीजे अजित पवार। ऐसे में पार्टी में पॉवर को लेकर परिवार में घमासान है। संभव है कि शरद पवार अपने इस फैसले के जरिए परिवार के विवाद को खत्म करने की कोशिश कर रहे हों।
पवार ने इस्तीफा वापस नहीं लिया तो कौन होगा अगला अध्यक्ष? 
1. अजित पवार: शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार का नाम इसमें सबसे पहले है। अजित पार्टी प्रमुख के लिए सबसे बड़े दावेदार हैं। पार्टी में उनकी हुकूमत भी चलती है। पार्टी पर उनका काफी प्रभाव है। यही कारण है कि जहां शरद पवार खुद नहीं होते हैं, वहां अजित को भेजा जाता है।
अजित ने पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर शपथ ले ली थी। बगावत के बावजूद जब वापस अजित शरद पवार के साथ गए तो महाविकास अघाड़ी की सरकार में भी उन्हें ही डिप्टी सीएम बनाया गया।
इसके बाद जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी तो भी शरद पवार ने अजित को ही नेता प्रतिपक्ष बनाया। अजित के साथ सबसे बड़ी ताकत ‘पवार’ नाम की है। अजित के साथ पवार शब्द जुड़ा हुआ है। ऐसे में संभव है कि पार्टी की बागडोर अजित पवार को ही मिल जाए।

2. सुप्रिया सुले : शरद पवार की बेटी और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले अध्यक्ष पद की दूसरी सबसे बड़ी दावेदार हैं। सुप्रिया तेज तर्रार नेता हैं और बोलने में काफी माहिर हैं। उनकी वाक शैली से लोग उनके कायल हो जाते हैं। सुप्रिया ने राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बना रखी है। ऐसे में संभव है कि पार्टी की कमान आगे सुप्रिया को ही मिल जाए।

 

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