ताइवान की राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा से चीन हुआ आग-बबूला

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) की अमेरिका (America) यात्रा से चीन (China) आग-बबूला हो गया है. अमेरिका यात्रा के दौरान ताइवानी राष्ट्रपति ने अमेरिकी रिपब्लिकन हाउस के अध्यक्ष केविन मैककार्थी से मुलाकात की थी. जिसके बाद चीन ने खुन्नस निकालने के लिए अमेरिका और ताइवान के खिलाफ हरकतें तेज कर दी हैं.

चीन ने ताइवान की एंबेसेडर पर प्रतिबंध का ऐलान किया है, इससे पहले उसने रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी और अन्य अमेरिकी और एशियाई-आधारित संगठनों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया था. द गार्जियन की रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने इस सप्ताह ताइवान की राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. इस कड़ी में पहले उसने 4 अमेरिकी नागरिकों को सूचीबद्ध किया, जिनमें हडसन संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक और रीगन फाउंडेशन के वर्तमान प्रमुख और पूर्व निदेशक शामिल थे. वहीं, अब उसने ताइवान की एंबेसेडर पर प्रतिबंध लगाए हैं.

चीन के प्रतिबंधों में रोनाल्ड रीगन पुस्तकालय को टारगेट किया गया है, जहां ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और यूएस हाउस स्पीक केविन मैककार्थी, और हडसन संस्थान के बीच बैठक हुई थी. और, न्यूयॉर्क में त्साई की मेजबानी भी की थी, उन्‍हें एक पुरस्कार प्रदान किया था. बताया जा रहा है कि चीन के प्रतिबंध अमेरिकी-ताइवानी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों को चीन, हांगकांग और मकाऊ में प्रवेश करने से रोकेंगे. इसके अलावा प्रतिबंध उन लोगों से संबंधित निवेशकों और फर्मों को मुख्य भूमि संगठनों और व्यक्तियों के साथ सहयोग करने से भी रोकेंगे.

बता दें कि चीन ताइवान पर कब्‍जे की फिराक में हैं, क्‍योंकि वह उसे अपना क्षेत्र मानता है, जबकि ताइवान एक स्‍वतंत्र देश है, जिसमें जनता की चुनी हुई सरकार है. चीन के बयानों पर ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा है कि ताइवान एक संप्रभु राष्ट्र है और उसका भविष्य उसके लोगों को तय करना है.

अमेरिका ने खाई ताइवान की रक्षा की कसम
अमेरिका ताइवान की रक्षा करने की कसम खा चुका है, इसलिए चीन की नजर में अमेरिका ‘मुख्‍य दुश्‍मन’ है. इसलिए ताइवान और अमेरिका के बीच जब भी कुछ होने वाला होता है तो चीनी सरकार को मिर्ची लग जाती है. पिछले दिनों के ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के अमेरिका दौरे की खबर आते ही चीन ने दोनों पक्षों को बार-बार चेतावनी दी थी कि उनकी कोई बैठक नहीं होनी चाहिए, और वार्ता से कुछ घंटे पहले चीन ने ताइवान के दक्षिण-पूर्व जलसीमा में अपना विमानवाहक पोत उसे डराने के इरादे से भेज दिया था. हालांकि, इसके बावजूद भी ताइवान की राष्ट्रपति नहीं डरीं और अमेरिका यात्रा पर पहुंच गईं.

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