PFI पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की तैयारी में मोदी सरकार, अगले हफ्ते हो सकता है बड़ा फैसला

हिंदू नव वर्ष और रामनवमी के दिन गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गोवा और झारखंड में हुए दंगों में एक बात जो कॉमन नजर आ रही है। वो है सोची-समझी प्लानिंग के तहत दंगे को अंजाम देना। राजस्थान के करौली से लेकर गुजरात हिम्मतनगर और मध्य प्रदेश के खरगौन तक दंगे में पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के हाथ होने के सबूत मिले हैं। पीएफआई को कई राज्य पहले से ही बैन कर चुके हैं। अब केंद्र सरकार ने भी बड़े एक्शन के संकेत दिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार पीएफआई पर पूरे देश में प्रतिबंध लगा सकती है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने पीएफआई को बैन करने की पूरी तैयारी कर ली है। जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार जल्द ही इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगा सकती है, जिस पर पिछले हफ्ते रामनवमी के दौरान देश के कुछ हिस्सों में भड़काने हिंसा और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक यह फैसला अगले हफ्ते तक हो सकता है। पीएफआई पहले से ही कई राज्यों में बैन है, लेकिन सरकार का एक केंद्रीकृत अधिसूचना के माध्यम से इसे प्रतिबंधित करने का इरादा है।

क्या है पीएफआई

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का गठन 2006 में किया गया था। पीएफआई एक उग्र इस्लामिक संगठन है। पीएफआई लोगों को उनके हक दिलाने और समाजसेवा का दावा करता है। 16 राज्यों में फैले इस संगठन की महिला विंग भी है।  झारखंड में उस संगठन पर बैन भी लगाया गया था। झारखंड सरकार को इसके कुछ सदस्यों के सीरिया में लिंक मिले थे।  2018 में केरल में भी इसको प्रतिबंधित करने की मांग उठी थी।  ये मांग एर्नाकुलम में एक छात्र की हत्या के बाद उठी थी।

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