मोदी सरकार का बड़ा कदम, विशेष सत्र में ला सकती है एक देश-एक चुनाव का बिल

New Delhi:केंद्र की मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार संसद के इस सत्र में एक देश-एक चुनाव का बिल ला सकती है. हालांकि एक देश-एक चुनाव के लिए अनुच्छेद- 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा. पीएम मोदी विधानसभा और आम चुनाव एक साथ कराने के विचार पर जोर देते रहे हैं. उनका तर्क है कि इस कदम से चुनाव कराने की लागत कम होगी और शासन के लिए समय भी बचेगा.

इस साल चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना हैं. लोकसभा चुनाव भी अगले साल के मध्य में हो सकता है. एक देश-एक चुनाव का विचार कम से कम 1983 से ही अस्तित्व में है, जब चुनाव आयोग ने पहली बार इस पर विचार किया था. हालांकि, 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव आम बात थी.

हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हो गया. 1970 में लोकसभा समय से पहले ही भंग कर दी गई और 1971 में नए चुनाव हुए. इस तरह से पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा को पूरे पांच साल का कार्यकाल मिला.

सूत्रों के अनुसार, विशेष सत्र के दौरान संसदीय कामकाज नए संसद भवन में स्थानांतरित हो सकता है. आमतौर पर संसद के तीन सत्र होते हैं. इसमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल हैं. विशेष परिस्थितियों में संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ था.

इससे पहले संसद का विशेष सत्र 30 जून 2017 की मध्यरात्रि को आयोजित किया गया था, जो जीएसटी के लागू होने के अवसर पर था. हालांकि यह लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र था. वहीं, अगस्त 1997 में छह दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया था जो भारत की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उत्सव के अवसर पर था. इससे पहले भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर 9 अगस्त 1992 को मध्यरात्रि सत्र आयोजित किया गया था. आजादी के रजत जयंती वर्ष पर 14-15 अगस्त 1972 को और आजादी की पूर्व संध्या पर 14-15 अगस्त 1947 को पहला ऐसा विशेष मध्य रात्रि सत्र आयोजित किया गया था.

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