समलैंगिकता अपराध है या नहीं? SC में आज से धारा 377 पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक बेंच आज यानी मंगलवार से समलैंगिकता (होमो सेक्सुअलिटी) को अपराध ठहराने वाली भारतीय दंड धारा (आईपीसी) की सेक्शन-377 पर सुनवाई करेगी. अदालत ने दिसंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जुलाई, 2009 के फैसले को बदलते हुए दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को समलैंगिकता मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा था. समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा- 377 को लेकर दायर हुई याचिकाओं की सुनवाई करने जा रही जजों की इस बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन आर नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं.

नाज फाउंडेशन समेत कई लोगों द्वारा दायर याचिकाओं में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में कहा था कि ऐसे लोग जो अपनी मर्जी से जिंदगी जीना चाहते हैं, उन्हें कभी भी डर की स्थिति में नहीं रहना चाहिए. स्वभाव का कोई तय पैमाना नहीं है. उम्र के साथ नैतिकता बदलती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो वयस्कों के बीच समलैंगिकता को वैध करार दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 149 वर्षीय कानून ने इसे अपराध बना दिया था, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था.

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