आज ही के दिन ब्रहमा ने की सृष्टि की रचना, शक्ति की उपासना और हिंदू नववर्ष की कैसे हुई शुरूआत!
Chaitra Navratri 2024: आज से पूरा देश मां दुर्गा की 9 दिनों तक भक्ति और पूजा में लीन रहने वाला है. आज से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. आज चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि है .ऐसी मान्यता है कि चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि को ही भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी.ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया था. इसलिए इस दिन नया संवत्सर शुंरू होता है. अतः इस तिथि को ‘नवसंवत्सर‘ भी कहते हैं. मान्यता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था.
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा
पुराण और ग्रंथों के अनुसार, चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि है जिसमें देवी शक्ति की पूजा की जाती थी. रामायण के अनुसार भी भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी. इसीलिए चैत्र नवरात्रि पूरे भारत में, खासकर उत्तरी राज्यों में धूमधाम के साथ मनाई जाती है.
महाराष्ट्र राज्य में यह ‘गुड़ी पड़वा‘ के साथ शुरू होती है .इस दिन मराठी लोग गुड़ी बनाते हैं. गुड़ी बनाने के लिए एक खंबे में उल्टा पीतल का बर्तन रखा जाता है, इसे गहरे रंग की रेशम की लाल, पीली या केसरिया कपड़े और फूलों की माला और अशोक के पत्तों से सजाया जाता है. गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहा जाता है. जिसकी लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं और भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न करते हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं.
नवरात्रि की कैसे हुई शुरुआत
मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत हुई थी उन्होंने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले हिन्दू नववर्ष से पहले दिन से ही प्रभु राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी. ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था. तभी माता चंडी प्रकट हुईं और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया.