BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: रायबरेली(Loksabha Election 2024) में दिनेश प्रताप सिंह पर BJP ने क्यों दांव खेला?

BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह पर BJP ने क्यों दांव खेला? BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: लोकसभा चुनाव 2024 में जिन तीन सीटों की पर सबकी नजर है उन पर आज बीजेपी ने अपने पत्‍ते खोल दिए हैं. कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिेह की जगह अनके बेटे को टिकट तो वहीं रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में फिर उतारा है.

उत्तर प्रदेश की हॉट सीटों में से एक रायबरेली  से कांग्रेस पार्टी की तरफ से अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है.  दिनेश प्रताप सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से वो चुनाव हार गए थे. सात चरण में हो रहे लोकसभा चुनाव में पांचवे चरण में 20 मई को रायबरेली सीट पर वोट डाले जाएंगे.

BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: समाजवादी पार्टी से शुरू किया राजनीतिक करियर

दिनेश प्रताप सिंह ने अपनी राजनीति की शुरूआत 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़ने से की. लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई.

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BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हुए शामिल

दिनेश प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एमएलसी हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया है. पूर्व में वो कांग्रेस में रह चुके हैं. साल 2018 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें रायबरेली सीट से उम्मीदवार बनाया गया था.

BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: कभी थे सोनिया गांधी के खास

बीजेपी ने रायबरेली में अपने पुराने चेहरे पर ही दांव लगाया है. दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी से विधान परिषद के सदस्य हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव भी सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि एक दौर में वह सोनिया गांधी के खास थे. साल 2018 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए दिनेश प्रताप सिंह पू्र्व में भी एमएलसी रह चुके हैं. सबसे पहले 2010 से 2016 तक, फिर 2016 से 2022 तक वे एमएलसी रहे और फिर तीसरी बार 2022 में भी उन्हें जीत मिली. यूपी की योगी सरकार में इस समय दिनेश राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं.

2018 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने रायबरेली से टिकट दिया था. 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन जीत नहीं मिल सकी. सोनिया गांधी को 55.80 फीसदी वोट मिले, जबकि दिनेश सिंह को 38.36 फीसदी वोट हासिल हुए.

BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli: योगी सरकार पार्ट-2 में बने राज्यमंत्री

2022 में उत्तर प्रदेश में दूसरी बार योगी की सरकार बनने पर पार्टी ने राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया. उसके बाद 2022 में ही हुए विधान परिषद चुनाव में पार्टी प्रत्याशी बने और जीत दर्ज की. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से कई नामों पर चर्चा शुरू हुई. नामांकन प्रक्रिया 26 अप्रैल से होने के कारण हर दिन पार्टी प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार होता रहा. अब नामांकन को मात्र एक दिन शेष बचा था, ऐसे में पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी घोषित किया.

प्रत्याशी घोषित होने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हम पर भरोसा किया है. मैं शीर्ष नेतृत्व की कसौटी पर खरा उतर सकूं और जिले में कमल खिला सकूं.

BJP gamble on Dinesh Pratap Singh in RaeBareli:स्थानीय स्तर पर बहुत मजबूत हैं दिनेश प्रताप सिंह

दिनेश प्रताप सिंह स्थानीय स्तर पर बहुत मजबूत हैं और रायबरेली के चप्पे की समझ रखते हैं. यही कारण रहा कि सोनिया गांधी के बहुत करीबी थे. गांधी परिवार उनकी सलाह पर ही काम करता रहा है. दिनेश प्रताप सिंह पांच भाई हैं जिसमें से तीन राजनीति में सक्रिय हैं. उनके भाई राकेश सिंह भी 2017 में हरचंदपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट से विधायक चुने गए थे.

वहीं एक और भाई अवधेश सिंह रायबरेली जिला पंचायत के के अध्यक्ष हैं. दिनेश प्रताप सिंह के आवास पंचवटी से ही पूरे जिले की राजनीति होती रही है. गांधी परिवार के लिए रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह और अखिलेश सिंह जैसे लोग ही हाथ पैर होते रहे हैं. कभी अखिलेश सिंह की भी रायबरेली में तूती बोलती थी. उनके मरने के बाद अब उनकी बेटी अदिति सिंह बीजेपी में आ गई हैं. अदिति सिंह विधायक हैं और बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ी हुई हैं.

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