कोर्टरूम में सभी की बोलती बंद करेंगे मनोज बाजपेई

Mumbai: अपने विश्वास को हथियार बनाकर आगे बढ़ने के लिए सिर्फ एक बंदा ही काफी है। समाज की सोच बदलने के लिए एक बंदा ही काफी है और मनोज बाजपेई की इस फिल्म के साथ सिनेमाघरों में दर्शकों को खींच लाने के लिए भी एक बंदा ही काफी है। हालांकि यह फिल्म सिनेमाघरों में नहीं बल्कि लोग घर बैठे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख पाएंगे। ‘एक बंदा काफी है’ एक बेहद प्रभावशाली ईश्वर का दर्जा दिए जाने वाले बाबा के खिलाफ मामले पर आधारित है जिन्हें उनके स्कूल में पढ़ने वाली एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और यह फिल्म इस मामले में पीड़िता के लिए जी तोड़ केस लड़ने वाले और बाबा को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले पीसी सोलंकी के जीवन की सच्ची घटनाएं पर आधारित है।

फिल्म की शुरुआत होती है थाने में अपने मां-बाप के साथ बैठी एक नाबालिग लड़की ‘नूर’ से जहां उसके माता-पिता (जय हिंद कुमार और दुर्गा शर्मा) अपनी बच्ची के साथ बलात्कार का केस दर्ज कराने आते हैं। हाई प्रोफाइल केस होने की वजह से यह केस काफी लंबा हो जाता है कई अड़चनें आती है, गवाहों को तोड़ा मरोड़ा जाता है। जान माल का नुकसान होता है, लेकिन बस वह कहते हैं ना जीवन की धार मोड़ने के लिए एक बंदा ही काफी है और वही हुआ। 5 साल तक चले इस मुकदमे के दौरान वकील पी सोलंकी के जीवन में क्या कुछ होता है, वह अपनी सच्चाई को किस तरह से सर्वोपरि रख अपने विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं और इस बच्ची को न्याय दिलवाते हैं। यह कोर्टरूम ड्रामा देखना दिलचस्प रहेगा।

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