यासीन मलिक को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को टेरर फंडिंग केस (Terror Funding Case ) में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा आतंकी यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मलिक को कुल 2 मामलो में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआईए (NIA) की विशेष अदालत ने सजा का ऐलान किया। इस बीच यासीन मलिक के घर के बाहर लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है, और साथ में नारे भी लगाए हैं। बवाल बढ़ने के बाद सुरक्षाबलों ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे।

यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में दोषी

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक ने टेरर फंडिंग एक मामले अपना गुनाह कबूल कर लिया था। स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने 19 मई को यासीन मलिक को दोषी करार दिया था और एनआईए को उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने को कहा था, ताकि उस पर लगाये जा सकने वाले जुर्माने को निर्धारित किया जा सके। मलिक को अधिकतम सजा के तौर पर फांसी, जबकि न्यूनतम सजा के तौर पर उम्र कैद सुनाई जा सकती है।

यासीन मलिक ने कोर्ट रूम में कहा कि पिछले 28 वर्षों में अगर मैं किसी आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं, इंडियन इंटेलिजेंस अगर ऐसा बता दे तो मैं राजनीति से भी संन्यास ले लूंगा और फांसी मंजूर कर लूंगा। सात प्रधानमंत्रियों के साथ मैंने काम किया है।

यासीन मलिक पर आरोप

यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था। उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा।

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