महाराष्ट्र में अगले 6 महीने तक मास्क पहनना अनिवार्य

मुंबई। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को अगले 6 महीने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एलान करते हुए कहा कि अगले 6 महीने तक सभी लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना अपनी आदत में शुमार कर लेना चाहिए। हालांकि, मास्क ना पहनने वालों पर क्या कार्रवाई होगी इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं आई है। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू या एक और लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा।

राज्य की जनता को सोशल मीडिया के जरिए संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि विशेषज्ञों ने एक बार फिर नाइट कर्फ्यू या लॉकडाउन लागू करने के पक्ष में हैं, लेकिन वह ऐसे कदम के समर्थन में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाया जा सका है, फिर भी  राज्य में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। ठाकरे ने कहा, ‘इलाज से बेहतर बचाव है। कम से कम अगले छह महीने तक सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की आदत बना लेनी चाहिए।’

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कोरोना, मेट्रो कार शेड परियोजना सहित कई विषय पर अपना संबोधन किया। बता दें कि महाराष्ट्र में शनिवार को 3,940 और लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के साथ राज्य में अब तक सामने आए कुल मामलों की संख्या बढ़कर 18,92,707 हो गई है। वहीं गत 24 घंटों में 74 और लोगों की मौत के साथ राज्य से महामारी में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 48,648 तक पहुंच गई है।

भारत में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित राज्य महाराष्ट्र ही है। इसके बाद कर्नाटक दूसरे नंबर पर संक्रमित राज्य है। बता दें कि कर्नाटक की पहला ऐसा राज्य है जहां पर सबसे पहले कोरोना से मौत हुई थी। हालांकि, सबसे पहले संक्रमित मामला केरल से सामने आया था। वहीं इससे पहले देश के ज्यादातर राज्यों में सार्वजनिक स्थलों पर मास्क ना पहनने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। यही नहीं ज्यादातर राज्यों में इसके खिलाफ जुर्माना भी तय किया गया था।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि वह बातचीत के माध्यम से कांजुरमार्ग मेट्रो कार शेड भूमि मुद्दे का समाधान करने के लिए तैयार हैं। राज्य के लोगों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए ठाकरे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर राज्य के खिलाफ अदालत का रुख किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास यह साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं कि जमीन राज्य सरकार की है। यदि भूमि के स्वामित्व पर कोई विवाद है, तो बातचीत के माध्यम से मुद्दे का हल किया जा सकता है।’’

उन्होंने लोगों से पूछा, ‘‘क्या स्वामित्व के मुद्दों के कारण भूमि पर अधिकार छोड़ देना चाहिए और क्या इसे बिल्डरों को दे दिया जाना चाहिए?’’ बम्बई उच्च न्यायालय ने मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए मुंबई के कांजुरमार्ग इलाके में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी थी।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने उक्त जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी थी। मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए राज्य द्वारा चिह्नित जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र और शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार के बीच तकरार चल रही है। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कार शेड के लिए जमीन आवंटित करने के जिलाधिकारी के एक अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी और कहा कि यह जमीन उसके (केंद्र के) नमक विभाग की है।

ठाकरे ने कहा कि 30 हेक्टेयर में फैली आरे कार शेड सिर्फ मेट्रो लाइन तीन के लिए थी, जबकि 40 हेक्टेयर कांजुरमार्ग भूमि का उपयोग मेट्रो लाइन–तीन, चार और छह के लिए कार शेड के वास्ते किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विरोध के बावजूद यहां बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में “सबसे महंगी” जमीन केंद्र सरकार की बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अवरोध पैदा नहीं किया। यदि आप कांजुरमार्ग में समस्याएं पैदा करते हैं और हम बीकेसी में करते हैं, तो एक दूसरे की परियोजनाओं में समस्याएं पैदा करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।’’

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