‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों से संवाद कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय ‘मन की बात’ (Mann ki Baat) कार्यक्रम के जरिए देशवासियों से संवाद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत में बताया कि उन्होंने अमेरिका यात्रा की वजह से ‘मन की बात’ के इस एपिसोड को पहले ही रिकॉर्ड कर लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सितम्बर में जिस दिन ‘मन की बात’ है, उसी तारीख को एक और महत्वपूर्ण दिन होता है। ये day ऐसा है जो भारत की परम्पराओं से बहुत सुसंगत है। सदियों से जिस परम्पराओं से हम जुड़े हैं उससे जोड़ने वाला है। ये है ‘वर्ल्ड रिवर डे’ यानी ‘विश्व नदी दिवस’। पीएम ने आगे कहा कि हमारे यहां कहा गया है–   “पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः अर्थात् नदियाँ अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिये देती हैं।””हमारे लिये नदियाँ एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है, और तभी तो, तभी तो हम, नदियों को माँ कहते हैं|””आप सब जानते ही हैं – माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने माँ गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं|””नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में ही स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा!”

“आप में से बहुत लोग जानते होंगे कि जिस साबरमती के तट पर महात्मा गाँधी ने साबरमती आश्रम बनाया था पिछले कुछ दशकों में ये साबरमती नदी सूख गयी थी|”

“साल में 6-8 महीने पानी नजर ही नहीं आता था, लेकिन नर्मदा नदी और साबरमती नदी को जोड़ दिया, तो अगर आज आप अहमदाबाद जाओगे तो साबरमती नदी का पानी ऐसा मन को प्रफुल्लित करता है|”

“आप देखिये तमिलनाडु के वेल्लोर और तिरुवन्नामलाई जिले का एक उदाहरण देना चाहता हूँ| यहाँ एक नदी बहती है, नागानधी | अब ये नागानधी बरसों पहले सूख गई थी | इस वजह से वहाँ का जलस्तर भी बहुत नीचे चला गया था|”

“लेकिन, वहाँ की महिलाओं ने बीड़ा उठाया कि वो अपनी नदी को पुनर्जीवित करेंगी | फिर क्या था, उन्होंने लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से नहरें खोदी, चेकडैम बनाए, री-चार्ज कुएँ बनाएँ|”

“आप को भी जानकर के खुशी होगी साथियों कि आज वो नदी पानी से भर गई है | और जब नदी पानी से भर जाती है न तो मन को इतना सुकून मिलता है मैंने प्रत्यक्ष से इसका अनुभव किया है|””हमारे आज के नौजवान को ये जरुर जानना चाहिए कि साफ़-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आन्दोलन को एक निरंतर ऊर्जा दी थी |””ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आन्दोलन बनाने का काम किया था|”
“महात्मा गाँधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था|””आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आन्दोलन ने एक बार फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है |
और ये हमारी आदतों को बदलने का भी अभियान बन रहा है..””अब आप जानते हैं जनधन खातों को लेकर देश ने जो अभियान शुरू किया | इसकी वजह से आज गरीबों को उनके हक का पैसा सीधा, सीधा उनके खाते में जा रहा है जिसके कारण भ्रष्टाचार जैसे रुकावटों में बहुत बड़ी मात्रा में कमी आई है |”

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