टैक्स लगाने से वैध नहीं हो जाएगी क्रिप्टोकरेंसी, इससे पता चलेगा Crypto में कहां कितना लगा है पैसा: CBDT प्रमुख

वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) या क्रिप्टोकरंसी पर टैक्स लगाने से इनकम टैक्स को पता चलेगा कि देश में इसकी ट्रेडिंग (Crypto Trading) किस स्तर तक और कहां-कहां हो रही है. ट्रेडिंग से जुड़ी जानकारी हासिल करने में इनकम टैक्स विभाग को मदद मिलेगी. क्रिप्टोकरंसी या वर्चुअल डिजिटल एसेट में कौन से लोग निवेश करते हैं, उनके निवेश का तरीका क्या है, इसके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. यह बात सीबीडीटी चेयरमैन जेबी महापात्रा ने कही. सीबीडीटी (CBDT) प्रमुख ने यह भी कहा कि क्रिप्टो या डिजिटल एसेट पर टैक्स लगाने का अर्थ यह नहीं कि ऐसी संपत्ति वैध हो जाएगी. 1 फरवरी को बजट में टैक्स का ऐलान होने के बाद ऐसी बातें उठ रही हैं कि यह क्रिप्टो या डीवीए को वैध करने का सरकार का पहला कदम हो सकता है.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के अंतर्गत ही इनकम टैक्स से जुड़े मामले आते हैं. इसके प्रमुख जेबी महापात्रा ने कहा कि किसी भी कर अधिकारी के लिए यह सबसे अच्छा समय है कि वह इस क्षेत्र में घुसे और इसके बारे में जानकारी हासिल करे. इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी बयान आया था कि वे क्रिप्टो से जुड़े लोगों और संस्थाओं से राय-बात कर रही हैं ताकि आने वाले समय में एक राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके. वित्त मंत्री ने बजट में माना कि देश में वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांजैक्शन में वृद्धि हुई है और इसे देखते हुए 30 परसेंट का टैक्स लगाया जाएगा. 1 परसेंट का टीडीएस एक्सचेंज के जरिये अलग से काटा जाएगा.

टैक्स चुकाने से वैधता की गारंटी नहीं

सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि आयकर विभाग किसी भी ट्रांजैक्शन की वैधता पर फैसले नहीं लेता. इनकम टैक्स विभाग या टैक्स का कानून केवल यह देखता है कि आपने जो ट्रांजैक्शन किया या जिस ट्रांजैक्शन में शामिल हुए उस पर कमाई होती है या नहीं. टैक्स विभाग किसी भी इनकम की वैधता को नहीं देखता बल्कि उसका काम इनकम पर टैक्स लगाने का है. यही वजह है जिससे कहा जा रहा है कि नए कानून में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाना वैधता पर मुहर लगाना नहीं है. महापात्रा ने ‘PTI’ को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो इस वजह से वैध नहीं हो सकता कि आपने उस पर टैक्स चुकाया है. किसी चीज को वैध करने के लिए टैक्स चुकाना उसका पैमाना नहीं हो सकता.

डिजिटल टैक्स सिस्टम में उतरेगी CBDT

CBDT प्रमुख ने कहा, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर देश में एक राष्ट्रीय नीति बन रही है जिसकी प्रक्रिया अभी जारी है. टैक्स विभाग डिजिटल या वर्चुअल एसेट के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, वह भी ऐसे समय में जब इसकी कोई नीति बन रही है. इसलिए टैक्स डिपार्टमेंट का लिए डिजिटल मार्केट में उतरने का यह सही समय है. इसकी डिटेल में महापात्रा ने कहा, कोई भी चीज जब डिजिटल ट्रेड में प्रॉफिट या सरप्लस में जाती है, तो उसे यह भी बताना होता कि जो पैसा निवेश किया है, वह कहां से आया है. अगर निवेश सही है और वैध है, तो सरप्लस पर टैक्स लगेगा. टैक्स लगने से हमें यह भी पता चलता है कि निवेश अवैध या फर्जी तो नहीं है. अगर कोई व्यक्ति अघोषित संपत्ति रखता है या किसी और की बेनामी संपत्ति अपने नाम रखता है, तो उसके परिणाम भुगतने होंगे.

टीडीएस से मिलेगी क्रिप्टो ट्रांजैक्शन की हर जानकारी

महापात्रा ने कहा, इसलिए हम केवल सरप्लस पर नहीं बल्कि किसी व्यक्ति के जरिये किए गए निवेश के तरीके पर भी गौर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो एसेट या क्रिप्टोकरंसी पर 1 परसेंट टीडीएस लगाने से मार्केट में उसकी ट्रेडिंग और वैल्यू के बारे में पता चलेगा. टीडीएस के जरिये हर ट्रांजैक्शन पर नजर रहेगी कि कौन और कहां कितना निवेश कर रहा है. 1 परसेंट के टीडीएस से पूरी जानकारी मिल जाएगी कि क्रिप्टोकरंसी का कहां-कहां फैलाव है. बजट में क्रिप्टोकरेंसी से एक साल में 10,000 रुपये से अधिक के पेमेंट पर 1 परसेंट टीडीएस लगाने का नियम लाया गया है.

अगर कोई क्रिप्टो गिफ्ट लेता है तो उसे टैक्स भरना होगा. आईटी एक्ट के तहत एक साल में अधिकतम 50,000 रुपये तक टीडीएस काटा जा सकता है. महापात्रा ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि भारत में 10 करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं. हम जानना चाहते हैं कि यह संख्या 10 करोड़ है या 1 करोड़. क्या इसके प्रॉफिट की जानकारी दी गई है? क्या निवेश की जानकारी सही है या गलत? इन सभी बातों को जानने के लिए टैक्स विभाग को डिजिटल मार्केट में उतरना होगा.

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