काशी की हजारों वर्ष पुरानी उलझनों को पीएम मोदी ने दूर किया: योगी आदित्यनाथ

हजारों वर्ष पहले हिमालय में मां गंगा शिव की जटाओं में उलझ गई थीं या काशी के मणिकर्णिका में उलझी थीं। इस उलझन को दूर करने का काम भारत माता के सपूत नरेन्द्र मोदी ने किया है। यही नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करके सत्ता कई पार्टियों ने पाई है लेकिन काशी की गंदगी और तंग गलियों की उनकी पीढ़ा को प्रधानमंत्री ने दूर किया है। यह बातें श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज बाबा विश्वनाथ की कृपा हम सब पर बरस रही है। पूज्य संतों का आशीर्वाद और प्रधानमंत्री की अहेतुक प्रेरणा काशीवासियों के लिए खुशी दे रही है। उन्होंने काशीवासियों समेत उन भारतवासियों को जिन्हे यहां की संस्कृति, परम्परा प्यारी है उन्हें आह्लादित और आनन्दित किया है। उन भारतवासियों की हजारों वर्षों की तपस्या आज सार्थक होती दिखाई दे रही है जिन्होंने एक हजार वर्षों में जिस तरह जिन विपरीत परिस्थितियों का सामना काशी को करते हुए देखा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1777 में इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर का जीरणोद्धार कराया और महाराज रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को 23 मन सोने से मढ़वाने में योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि काशी में बाबा विश्वनाथ धाम और अयोध्या में राममंदिर का निर्माण की कार्रवाई प्रधानमंत्री मोदी की उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाता है जिसमें योग की परम्परा हो या प्रयागराज में कुंभ का आयोजन हुआ। नरेन्द्र मोदी ने यह सब भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने काशी की तंग गलियों और यहां की गंदगी पर अपनी पीढ़ा व्यक्त की थी। लेकिन कई पार्टियों ने उनके नाम पर सत्ता तो हथिया ली लेकिन उनके इच्छा पूरा करने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया।

विश्वनाथ धाम की भव्यता से काशी बम-बम

बाबा विश्वनाथ धाम का चमकता शिखर, मां गंगा के सजे घाट, जगह- जगह सजे तोरणद्वार, जयघोष करती हुई शिवभक्तों की भीड़, देशभर के साधु-संतों का जमावड़ा, काशी की पावन धरा पर दंडवत प्रधानमंत्री व राज्यों के दर्जन भर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, नेता और अफसर। बाबा विश्वनाथ की काशी सोमवार को ऐसे ही अद्भुत और अलौकिक रूप में दिखी। काशी की गलियों से लेकर घर, मुहल्ले और सड़क तक सब शिवमय था। काशी विश्वनाथ धाम से लेकर छोटे-छोटे शिवालयों और मंदिरों में जैसे खुद बाबा विश्वनाथ का प्रतिरूप निखर रहा था। मंदिरों की यह अद्भुत छटा मन को मोह रही थी।

काल भैरव के दरबार में लगाई हाजिरी 

सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग साढ़े दस बजे काशी पहुंचे। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने काशी के कोतवाल काल भैरव के दरबार में हाजिरी लगाई। इसके बाद खिड़किया घाट से क्रूज पर सवार होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ललिता घाट पहुंचे।

पीएम मोदी ने काशीपुराधिपति का किया अभिषेक

श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के पूर्व सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ललिताघाट पर गेरूआ वस्त्र धारण कर पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा में पुष्प अर्पित कर भगवान सूर्य को जल देने के बाद प्रधानमंत्री पूरे आस्था के साथ कलश में गंगा जल भर पैदल ही जेटी पर पहुंचे। यहां गीला वस्त्र बदलने के बाद नया वस्त्र परम्परागत धोती, कुर्ता, रेशमी दुपट्टा धारण कर प्रधानमंत्री कार से गंगाजल कलश लेकर मंदिर चौक तक गये। फिर डमरूओं के नाद के बीच लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में हाजिरी लगाई।

अपने संकल्प को मूर्त रूप लेने पर प्रधानमंत्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बेहद खास रेवती नक्षत्र और रवि महायोग में आदि विश्वेश्वर के पावन ज्योर्तिलिंग पर गंगा जल सहित पवित्र नदियों के जल से जलाभिषेक किया। उनके प्रति अपार आस्था दिखाई। श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में मंदिर के अर्चक पं.श्रीकांत मिश्र, डॉ नागेन्द्र पांडेय, पं.ओमप्रकाश मिश्र आदि ने मंत्रोच्चार के बीच बाबा का षोडशोपचार पूजन प्रारम्भ कराया। प्रधानमंत्री ने बाबा से राष्ट्र उन्नति, विश्व कल्याण, के लिए मानस प्रार्थना की।

इस कालखंड में लोकार्पण सर्वोत्तम

गौरतलब है कि धाम के लोकार्पण का शुभ मुहूर्त अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण शिलान्यास के लिए मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविण ने ही तय किया है। आचार्य द्रविण ने धाम लोकार्पण के शुभ मुहूर्त के बारे में कहा है कि विक्रम संवत 2078 शालिवाहनशक,1943 शुक्ल पक्ष दशमी तिथि सोमवार के दिन रेवती नक्षत्र और श्लेषा नाड़ी का काल 20 मिनट का है। इसी कालखंड में लोकार्पण सर्वोत्तम है। इस योग में धार्मिक कार्य होने से देश और समाज का सौभाग्य बढ़ेगा।

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