क्या है ‘विश्वकर्मा योजना’, इस स्कीम से किन लोगों को मिलेगा फायदा

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 73 वें जन्मदिन (PM Narendra Modi Birthday)  के मौके पर देश के लोगों को एक बड़ा तोहफा दिया. उन्होंने ‘विश्वकर्मा योजना’ (Vishwakarma Yojana) की शुरुआत की. इस योजना का ऐलान उन्होंने 2023-24 के केंद्रीय बजट में कर दिया था.  इस साल पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से जल्द लॉन्च करने का वादा किया था. इसके बाद बीते माह  इसे कैबिनेट की बैठक से मंजूरी मिली थी. सरकार ने विश्वकर्मा योजना के तहत 13,000 करोड़ रुपये का बड़ा बजट रखा है. इस बजट की मदद से पारंपरिक कौशल वाले लोगों को सहायता मिलेगी.

पीएम विश्वकर्मा (PM Vishwakarma) की मदद से सुनार, लोहार, नाई और चर्मकार जैसे पारंपरिक कौशल रखने वाले लोगों को कई तरह के लाभ मिलने वाले हैं. इस योजना के तहत इन लोगों को पहले चरण में एक लाख रुपये तक और दूसरे चरण में दो लाख रुपये तक का लोन भी दिया जाएगा. ये महज 5 फीसदी की रियायती ब्याज दर पर होगा. इसके साथ विश्वकर्मा योजना में कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा. उनमें सुधार और घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर लोगों की इन उत्पादों तक पहुंच के दायरे को बढ़ाने की कोशिश होगी.

कुल मिलाकर मिलेगा 3 लाख का लोन 

सरकार की ओर से इस योजना के तहत 3 लाख रुपये तक का लोन देने का प्रावधान है. पहले चरण में व्यापार करने के लिए लाभार्थी को  1 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा. इसके बाद जब कारोबार शुरू  होगा, तो फिर इस व्यवसाय को व्यवस्थित करने और विस्तार करने के लिए सरकार दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का लोन देगी.  कारीगरों को इस योजना के तहत डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन मिलेगा.

18 पारंपरिक कौशल वाले व्यवसायों को जोड़ा

इस योजना में 18 पारंपरिक कौशल वाले व्यवसायों को जोड़ा गया है. इससे पूरे देश में मौजूद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान की जाएगी. इनमें लोहार, ताला बनाने वाले, कारपेंटर, नाव, मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान बनाने वाले कुम्हार, मूर्तिकार, राज मिस्त्री, मछली का जाल बनाने वाले, खिलौने बनाने वाले सहित अन्य कारिगर शामिल हैं. केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि PM Vishwakarma Yojna के जरिए सरकार का पुरानी परंपराओं को जीवित किया जा सके. कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समृद्ध करना है.  इसके साथ उनके द्वारा बनाए स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से भारत की परंपरा, संस्कृति को भी जीवित और समृद्ध बनाना है.

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