श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद: शाही ईदगाह का सर्वे कराने का आदेश दिया कोर्ट ने

Mathura: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि(Sri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद(Shahi Idgah Masjid Controversy) में सिविल जज ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त कर दिया है। कोर्ट कमिश्नर  में सबूतों की जांच करेंगे और 20 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करेंगे। हिंदू पक्ष की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिविजन, सोनिका वर्मा ने यह फैसला सुनाया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता व उपाध्यक्ष सुरजीत यादव ने 8 दिसंबर 2022 को सिविल केस दाखिल किया था।

क्या है मथुरा का विवाद

13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का विवाद है। इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर  तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई।

बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि पर लंबित याचिका पर चार महीने में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने का निर्देश भी दिया था। दरअसल, इस मामले में कई याचिकाएं विभिन्न पक्षों की ओर से दाखिल की गई हैं। जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था कि चार महीने में इसकी सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए।

उधर, शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि 1968 के पुराने समझौते पर मंदिर ट्रस्ट ने कभी आपत्ति नहीं जताई है और इस मामले पर बाहरी लोग याचिका दायर कर रहे हैं। शाही ईदगाह ट्रस्ट के एडवोकेट तनवीर अहमद का कहना है कि यह बेहद अजीब है कि कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और संस्थान  ने अब तक इस मामले पर कोई स्टैंड नहीं लिया है, जबकि हिंदू याचिकाकर्ताओं ने उनको पार्टी बनाया हुआ है।

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