पायलट और गहलोत के बीच सुलह, साथ लड़गें चुनाव- कांग्रेस

New Delhi: कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पार्टी के एकजुट होने का दावा किया है। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि दोनों नेताओं ने पार्टी के प्रस्ताव पर सहमति जताई है और आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ेंगे। दोनों नेताओं ने सभी मुद्दों को आलाकमान द्वारा हल करने के लिए छोड़ दिया है।

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ गहलोत व पायलट के बीच चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए हुई बैठक में उनके मुख्य मुद्दों का कोई समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि खरगे और राहुल गांधी ने पहले दो घंटे के लिए गहलोत से मुलाकात की और उसके बाद सचिन पायलट से मुलाकात की।

सभी नेताओं ने बैठक के बाद खरगे के आवास पर एक साथ तस्वीरें भी खिंचावाई। दिलचस्प बात यह रही कि एक ही जगह बैठक होने के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने गहलोत और पायलट से अलग-अलग चर्चा की। वहीं, खरगे के आवास पर हुई बैठक के बाद जब गहलोत और पायलट पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बाहर आए तो उन्होंने मीडिया से बात नहीं की। उनकी बॉडी लैंग्वेज भी बिलकुल अलग थी।

बता दें कि यह बैठक सचिन पायलट द्वारा दिए गए अल्टीमेटम के बाद हुई है। सचिन ने अल्टीमेटम दिया था कि अगर इस महीने के अंत तक राज्य सरकार उनकी तीन मांगों को पूरा नहीं करेगी तो वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।

पायलट ने रखी थी ये तीन मांगें

पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने जो मांगें उठाई हैं, खासकर पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में वे अनसुलझी हैं। उन्होंने कहा कि पायलट अपनी मांगों पर अडिग हैं और बैठक के बाद अगर गहलोत सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की तो वह अपने उठाए गए मुद्दों के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे।

पायलट की दो अन्य मांगों में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) का पुनर्गठन और उसमें नई नियुक्तियां करना हैं। इसके अलावा पेपर लीक के बाद सरकारी भर्ती परीक्षा रद्द होने से प्रभावित लोगों को मुआवजा देना जैसी मांग शामिल है।

क्या है पायलट-गहलोत के बीच विवाद?

बता दें कि साल 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच विवाद देखने को मिल जाता है। 2020 में पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया गया था।

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