‘अलोकतांत्रिक और आधारहीन बहिष्कार…’, संसद उद्धाटन विवाद पर पूर्व नौकरशाहों ने लिखा लेटर

New Delhi: सेवानिवृत्त नौकरशाहों, पूर्व सैन्य अधिकारियों और शिक्षाविदों सहित लगभग 270 प्रतिष्ठित नागरिकों ने शुक्रवार को एक खुला पत्र जारी किया. इसमें 88 रिटायर्ड नौकरशाह, 100 रिटायर्ड आर्मी अफसर और 82 एकैडमिक जगत के लोग शामिल हैं. जिसमें 28 मई को नए संसद भवन (New Indian Parliament) के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए विपक्षी दलों की तीखी आलोचना की गई है. पत्र में कहा गया है कि जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा संसद के उद्घाटन का बहिष्कार कर रहे हैं, उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे हैं जो लोकतंत्र की आत्मा को चूस रहे हैं. वे अपने स्वयं के फार्मूले अलोकतांत्रिक, नियमित और आधारहीन बहिष्कार का पालन कर रहे हैं.

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में एनआईए के पूर्व निदेशक योगेश चंदर मोदी, पूर्व डीजीपी एसपी वैद, बीएल वोहरा और विक्रम सिंह, पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी, निरंजन देसाई, वीरेंद्र गुप्ता और जेएस सपरा और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गोपाल कृष्ण, दीपक सिंघल और सीएस खैरवाल शामिल थे. वहीं आगे पत्र में उन चार घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है जिनका कांग्रेस और विपक्ष ने अतीत में बहिष्कार किया था और नए संसद भवन के उद्घाटन को पूरे देश के लिए एक गर्व का क्षण बताया. गौरतलब है कि पत्र में कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा गया है. बयान में लिखा गया कि वर्तमान कांग्रेस पार्टी की प्रकृति हमेशा अलोकतांत्रिक रही है और उनका अहंकार हमेशा देश की प्रगति के आड़े आता रहा है. बॉयकॉट को लोकतंत्र पर सीधा हमला भी बताया गया.  बता दें कि संसद के उद्घाटन के बहिष्कार में कांग्रेस के नेतृत्व में 19 विपक्षी दल विरोध में एक साथ आए. विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि राष्ट्रपति, प्रथम नागरिक और राज्य के प्रमुख होने के नाते, उन्हें संसद के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित न करके अपमानित किया गया था. इस घटना ने 2024 के आम चुनावों के लिए संभावित विपक्षी गठबंधन की बातचीत को और तेज कर दिया है.

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