Matter of EVM and VVPAT: 1आखिर क्‍या है EVM और VVPAT का मामला, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला

पहले होते थे बैलेट पेपर से चुनाव

Matter of EVM and VVPAT: आखिर क्‍या है EVM और VVPAT का मामला, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसलाMatter of EVM and VVPAT: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव होना एक पर्व की तरह होता है. भारत के नागरिक इस पर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्‍सा लेते हैं. पहले के चुनाव बैलेट पेपर पर होते थे. लेकिन फिर बाद में पेपर की जगह EVM मशीन ने ले ली और फिर जब ईवीएम पर सवाल उठे तो VVPAT को लाया गया.

जब-जब चुनाव के नतीजों आते हैं, तब-तब चुनाव नहीं जीतने वाले राजनैतिक दलों के निशाने पर EVM मशीन रहती है. इसको देखते हुए  VVPAT Machine को लाया गया. अब इसको भी लेकर विपक्षी दलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.  जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया…इसके साथ ही हम आपको

Matter of EVM and VVPAT: सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया है.जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच मामले में सुनवाई की है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई और चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टता दिए जाने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए.

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दो फैसले हैं, सहमति वाले. हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है. हमने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. हमने दो निर्देश दिए हैं. एक निर्देश ये है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाना चाहिए. एसएलयू को कम से कम 45 दिनों की अवधि के लिए संग्रहित किया जाना चाहिए.

Matter of EVM and VVPAT: EVM के साथ VVPAT पर सवाल

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए मतदान हो चुके हैं, आज यानि 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए मतदान होने हैं. चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान हमेशा से ही विपक्षी दल के लोग EVM और VVPAT Machine को लेकर सवाल खड़े करते आए हैं. बहुत से सवाल अब भी ऐसे हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी तक नहीं है.

क्या आपको पता है कि आखिर VVPAT मशीन है क्या और ये मशीन आखिर किस तरह से काम करती है या फिर वोट डालने के बाद आखिर कब तक VVPAT Slip नजर आती है? आज हम आपको इन सभी सवालों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.

Matter of EVM and VVPAT: आखिर VVPAT मशीन है क्या

वीवीपैट का मतलब है Voter Verifiable Paper Audit Trail. जब EVM और VVPAT जैसी मशीन नहीं थी और बैलेट पेपर के जरिए ही चुनाव होते थे.

लेकिन फिर समय बदला और बैलेट पेपर की जगह EVM मशीन ने ले ली. इस मशीन के आने के बाद से अबतक विपक्ष इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़े करता रहता है.

जब EVM पर सवाल खड़े होने लगे तब चुनाव आयोग इस समस्या का हल निकालते हुए VVPAT को लेकर आया. वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल उर्फ VVPAT मशीन को EVM मशीन के साथ कनेक्ट किया जाता है.http://पहली बार कब हुआ VVPAT का इस्तेमाल?

Matter of EVM and VVPAT: कैसे काम करती है ये मशीन

EVM और VVPAT दोनों ही मशीन कंट्रोल यूनिट के साथ जुड़ी होती हैं. जैसे ही आप ईवीएम मशीन में बटन दबाते हैं, एक बीप की आवाज आती है और साथ में लगी वीवीपैट मशीन में आपने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है उसकी एक पर्ची प्रिंट होकर दिखने लगती है.

आप इस पर्ची को घर लेकर नहीं जा सकते लेकिन आपको ये पर्ची मशीन में कुछ सेकंड तक जरूर नजर आती है जिससे कि आप इस बात को चेक कर सकते हैं कि आपका वोट वाकई उसी को गया है या नहीं जिसे आपने वोट दिया है या नहीं. इसके बाद ये पर्ची मशीन में मौजूद एक सील पैक्ड बॉक्स में गिरती है.

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Matter of EVM and VVPAT: कितनी देर तक दिखती है स्लिप?

जब भी कोई व्यक्ति मतदान उर्फ वोट डालता है तो मशीन में स्लिप जेनरेट होती है. इस स्लिप को देखने से वोट देने वाले को एक तसल्ली हो जाती है कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है वोट उसी को गया है. इस स्लिप में उम्मीदवार का नाम होता है जिसे आपने वोट दिया है और चुनाव चिन्ह छपा होता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, VVPAT मशीन में लगे ग्लास विंडो में ये स्लिप लगभग 7 सेकंड तक नजर आती है. इसके बाद यह स्लिप मशीन के नीचे लगे कंपार्टमेंट में गिरती है.

Matter of EVM and VVPAT: पहली बार कब हुआ VVPAT का इस्तेमाल?

EVM के साथ हमेशा से VVPAT का इस्तेमाल नहीं होता था, ईवीएम पर जब सवाल उठने लगे तो वीवीपैट मशीन को लाया गया.याद दिला दें कि 2013 में हुए नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने पहली बार वीवीपैट मशीन को बतौर ट्रायल के रूप में इस्तेमाल किया था.

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