आज से 10 दिन की हड़ताल पर किसान, फल, सब्जी और दूध की सप्लाई हो सकती है बाधित

नई दिल्ली: एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं और सरकार परेशान है लेकिन इस बार इस आंदोलन का असर आम लोगों पर भी पड़ने वाला है। आंदोलन में किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि गांव का सामान शहर नहीं जाएगा। मतलब अगले 10 दिन तक जब तक ये आंदोलन चलेगा गांव से ना दूध, ना सब्जियां, ना फल, कुछ भी मंडियों तक नहीं पहुंचेगा। इसका असर आप समझ सकते हैं क्या होगा। इस आंदोलन को लेकर पुलिस भी अलर्ट पर है क्योंकि पिछेली बार जो मध्य प्रदेश में हुआ था, वो बहुत डराने वाला था। आंदोलन की आड़ में इस बार अगर किसी ने हिंसा को हथियार बनाने की कोशिश की तो पुलिस उनके लिए पहले से तैयार बैठी है।

22 राज्यों के किसान इस आंदोलन से जुड़ते चले जाएंगे

सरकार उनसे निपटने के उपाय के साथ तैयार
मतलब सरकार पहले कोशिश करती रही कि किसान मान जाए और अब जब वो आंदोलन पर उतारू हैं तो सरकार उनसे निपटने के उपाय के साथ भी तैयार है। मध्य प्रदेश में हाई अलर्ट इसलिए है क्योंकि किसानों की जो चेतावनी है वो सीधे-सीधे प्रदेश सरकार के लिए परेशानी की बात है। 1 जून यानी आज से फल, दूध, सब्जी गांवों से शहरों की ओर नहीं आएगा। वहीं 6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर मृतक किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। किसान 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाएंगे और 10 जून को दोपहर 2 बजे तक पूरा भारत बंद कराएंगे।

गांव से शुरू होकर ये आंदोलन शहरों की ओर जाएगा
मतलब किसानों का ये आंदोलन गांव से शुरू होकर शहरों की ओर जाएगा। किसी भी वक्त, कहीं भी बवाल की पूरी आशंका है क्योंकि पिछले कुछ आंदोलन की डरावनी तस्वीर सबने देखी है इसलिए प्रशासन को जब से खबर मिली है कि फिर से 1 जून को हर शहर में हजारों किसानों की भीड़ जुटने वाली है तो उसके हाथ-पांव फूल गये हैं। किसान अपने कर्ज को माफ करने की मांग कर रहे हैं, साथ ही वह लागत से 50 फीसदी अधिक मूल्य दिए जाने की मांग कर रहे हैं। कुछ जगहों पर किसानों और दुग्ध विक्रेताओं ने पहले ही इस हड़ताल से खुद को अलग कर लिया है।

क्या है किसानों की मांग?
किसानों की पहली मांग-वादों के मुताबिक किसानों का लोन माफ किया जाए
किसानों की दूसरी मांग-सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए
किसानों की तीसरी मांग-फल, सब्जी, दूध के दाम भी लागत के आधार पर तय किए जाएं
किसानों की चौथी मांग-किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामले खत्म किये जाएं

इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए गांवों में सभाएं भी की गई थीं। इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें। एक किसान की मौत होती है तो सब रोने लगते हैं। सरकार अलग रोती है, विपक्ष अलग रोता है लेकिन क्या इन आंसुओं का कोई अर्थ होता है। अगर होता तो किसानों को एक बार फिर से आंदोलन करने की आज जरुरत नहीं होती।

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