आखिर झुक गयी मोदी सरकार, जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति को मंजूरी दी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की कोलेजियम की सिफारिश को सरकार ने मंजूरी दी। इसके साथ ही सरकार और न्यायपालिका के बीच इस विषय पर लंबे समय से जारी तनातनी समाप्त हो गयी है। सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति विनीत सरन को भी पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत भेजने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। प्रधान न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने 10 जनवरी को न्यायाधीश जोसेफ को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। हालांकि, सरकार ने वरिष्ठता का हवाला देते हुए 30 अप्रैल को सिफारिश लौटा दी थी। कार्यपालिका ने यह भी इंगित किया था कि कई उच्च न्यायालयों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है और न्यायमूर्ति जोसेफ की पदोन्नति क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के खिलाफ होगी।

न्यायमूर्ति जोसेफ मूल रूप से केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं। न्यायमूर्ति जोसेफ ने हरीश रावत सरकार गिरने के बाद 2016 में उत्तराखंड में लगाये गये राष्ट्रपति शासन को खारिज कर दिया था। कोलेजियम ने 16 मई को फिर से न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम पदोन्नति के लिए सरकार के पास भेजा। सूत्रों का कहना है कि तीनों नव-नियुक्त न्यायाधीशों का नियुक्ति पत्र सोमवार को जारी किया जा सकता है। तीन नये न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 25 हो जाएगी। हालांकि, न्यायालय में अभी भी छह रिक्तियां रहेंगी।

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