हिजाब इस्लामी धार्मिक प्रथा का आवश्यक अंग नहीं: कर्नाटक सरकार

कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय के सामने कहा कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसका इस्तेमाल रोकने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं होता। गौरतलब है कि अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। कर्नाटक हिजाब विवाद का हल शुक्रवार को भी नहीं हो सका। कर्नाटक सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल (AG) प्रभुलिंग नवदगी ने बेंच के सामने यह दलील रखी गई कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी। उधर कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में शुक्रवार को भी हिजाब पहनकर आने वालों को एंट्री नहीं दी गई।

कर्नाटक के महाधिवक्ता (एजी) प्रभुलिंग नवदगी ने न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे.एम. काजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एम दीक्षित की पीठ से कहा, “हमने यह रुख अपनाया है कि हिजाब पहनना इस्लाम का आवश्यक धार्मिक अंग नहीं है।” कुछ मुस्लिम लड़कियों ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक सरकार द्वारा हिजाब या भगवा स्कार्फ पहनने पर रोक लगाने के पांच फरवरी के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होता है। महाधिवक्ता ने इस आरोप का भी खंडन किया। अनुच्छेद 25 भारत के नागरिकों को अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है।

नवदगी ने दलील दी कि सरकार के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन नहीं होता। यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है। महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का पांच फरवरी का आदेश कानून सम्मत है और उसमें आपत्ति करने जैसी कोई चीज नहीं है।

कर्नाटक हिजाब मामले को लेकर देशभर में विवाद जारी है। हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में भी लगातार सुनवाई जारी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही हाईकोर्ट किसी नतीजे पर पहुंचेगा और मामले में फैसला सुनाया जाएगा।

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