बड़े पैमाने पर होगा पिनाका मिसाइल का निर्माण, DRDO ने शुरू की जरूरी प्रक्रिया

नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पिनाका रॉकेट, लांचर और संबंधित उपकरणों के निर्माण से संबंधित एक अहम प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू की। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। अधिकारियों ने बताया कि DRDO ने पिनाका रॉकेट प्रणाली के बड़े पैमाने पर उत्पादन से संबंधित सभी जानकारी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGQA) को सौंप दी। DGQA सभी रक्षा उपकरणों के लिए गुणवत्ता विनिर्देश और मानक सुनिश्चित करने का उत्तरदायी है।

DGQA को सौंपी गई AHSP रेस्पोंसिबिलिटी

DRDO ने शुक्रवार को अथॉरिटी होल्डिंग सील्ड पर्टिकुलर (AHSP) रेस्पोंसिबिलिटी को DGQA को सौंप दिया है। यह पिनाका रॉकेट, लॉन्चर्स, बैटरी कमांड पोस्ट आदि के उत्पादन और गुणवत्ता आश्वासन प्रक्रियाओं से जुड़ा है। बता दें कि पिनाका एक फ्री फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है, जिसकी रेंज 37.5 किमी है।  पिनाक रॉकेट्स को मल्‍टी-बैरल रॉकेट लॉन्‍चर से छोड़ा जाता है। लॉन्‍चर सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट्स दाग सकता है।

हाल ही में किया ATGM का परीक्षण

हाल के दिनों में ही DRDO ने महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित फायरिंग रेंज से देश में विकसित लेजर निर्देशित एक टैंक विध्वंसक मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया है। अधिकारियों ने 23 सितंबर को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिसाइल चार किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। प्रयोगिक परीक्षण के तहत मंगलवार को अहमदनगर में स्थित आर्म्ड कोर सेंटर एंड स्कूल स्थित केके रेंज में एक एमबीटी अर्जुन टैंक से इस मिसाइल को दागा गया।

ATGM से बढ़ेगी भारतीय सेना की ताकत

अधिकारियों ने कहा कि लेजर निर्देशित टैंक विध्वंसक मिसाइल (ATGM) से भारतीय सेना की युद्ध शक्ति महत्वूपर्ण रूप से बढ़ने की संभावना है, खासकर पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर। अधिकारियों ने कहा कि ATGM पूर्ण सटीकता के साथ लक्ष्यों को निशाना बनाती है। अर्जुन टैंक डीआरडीओ द्वारा विकसित तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है। पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला तथा उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के सहयोग से इस मिसाइल का विकास किया है।

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