कैप्टन सरकार का बड़ा फैसला! किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के वारिसों को मिलेगी सरकारी नौकरी

कैप्टन अमरिन्दर सिंह (Captain Amarinder Singh) के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट (Punjab Cabinet) ने गुरुवार को एक अहम फ़ैसला लिया. कैबिनेट ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन (Farmers Protest) के दौरान मारे गए 104 किसानों/खेत मज़दूरों वारिसों को नौकरी देने की स्वीकृति दे दी है (Jobs to heirs of farmers).

मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया है कि ऐसे सभी मृतक प्रदर्शनकारियों के परिजनों को रोजगार प्रदान किया जाए. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वह चाहते हैं कि पंजाब के सभी किसानों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में समायोजित किया जाए जिन्होंने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी है.

मौजूदा नीति में बदलाव के लिए CM को किया अधिकृत

मंत्रिमंडल ने पहले मुख्यमंत्री को अनुकंपा नियुक्तियों से संबंधित पंजाब सरकार की नीति दिनांक 21 नवंबर 2002 के तहत कवर नहीं किए गए उम्मीदवारों को छूट को मंजूरी देते हुए नियमों में कोई और बदलाव करने के लिए अधिकृत किया. उक्त नीति सरकारी कर्मचारियों और उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए लड़ते हुए मारे गए हैं.

किसानों के वारिसों को शामिल करने को दी है मंजूरी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों/खेत मजदूरों के कानूनी वारिसों के मामले नीति में शामिल नहीं थे, जिसके लिए अनुमोदन/छूट की आवश्यकता थी. जिसे अब मंजूरी दे दी गई है. मंत्रि-परिषद के निर्णय से मृतक किसान/मजदूरों के माता, पिता, विवाहित भाई, विवाहित बहन, विवाहित बेटी, बहू, पौत्र, पोती, आदि जिनकी अनुशंसा संबंधित डीसी द्वारा की जाती है, वे एकमुश्त उपाय के रूप में रोजगार के लिए पात्र होंगे.

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