इसी साल के आखिर में मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पांच धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की है. ये संत हैं- कंप्यूटर बाबा, भैय्युजी महाराज, नरमानंदजी, हरिहरानंदजी और पंडित योगेंद्र महंत. इनको मंत्री बनाने से पहले सरकार ने इनके नेतृत्व में एक कमेटी गठित की थी. उसका मकसद वृक्षारोपण, जल संरक्षण और नर्मदा नदी की साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने से था. हालांकि इसके साथ ही सूबे की सियासत में राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केवल राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया गया है. इन संतों से लोगों की जुड़ी भावनाओं और उनकी धार्मिक अपीलों का दोहन करने के लिए शिवराज सरकार ने यह दांव चला है. इस पृष्ठभूमि में इन पांचों संतों के बारे में डालते हैं एक नजर:
1. कंप्यूटर बाबा: स्वामी नामदेव त्यागी को कंप्यूटर बाबा के नाम से भी जाना जाता है. कंप्यूटर बाबा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका दावा है कि उनका कंप्यूटर की तरह दिमाग है और उनकी स्मरणशक्ति बेहद अद्भुत है. उनके हाथ में हमेशा लैपटॉप देखने को मिलता है. इसके साथ ही वाई-फाई डोंगल, मोबाइल फोन और आधुनिक गैजेट्स के साथ उनके पास हेलीकॉप्टर भी है. कहा जाता है कि 2013 में उन्होंने उस वक्त हलचल मचा दी थी कि जब कुंभ मेला अधिकारियों से स्नान के लिए उन्होंने हेलीकॉप्टर से आने की अनुमति मांगी थी. हालांकि यह दर्जा पाने से पहले कंप्यूटर बाबा ने 15 दिनों के ‘नर्मदा घोटाला यात्रा’ निकालने की बात कही थी. लेकिन बाद में बिना कोई वजह बताए उसको स्थगित कर दिया गया.
2. भैय्युजी महाराज: पूर्व मॉडल हैं और जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं. असली नाम उदय सिंह देशमुख हैं और वैभवपूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं. इंदौर में शानदार आश्रम है. सफेद मर्सिडीज एसयूवी में सफर करते हैं. राजनेताओं और बिजनेसमैन के बीच उनकी जबर्दस्त फालोअिंग है. ये ‘आध्यात्मिक चर्चाओं’ के लिए उनके पास जाते हैं. कहा जाता है कि 2011 में अन्ना हजारे ने जब लोकपाल के मसले पर उपवास किया था तब उसको खत्म कराने में इन्होंने मध्यस्थता की थी.
3. हरिहरानंदजी: ये 50 लोगों के उस कोर समूह में शामिल थे जिन्होंने नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा की अगुआई थी. यह अपने आप में दुनिया का सबसे नदी संरक्षण अभियान था. इस यात्रा की शुरुआत 11 दिसंबर, 2016 को हुई थी और इसका समापन 11 मई, 2017 को हुआ. 144 दिनों की यह पैदल यात्रा अमरकंटक से सोंडवा और वहां से वापस अमरकंटक तक हुई. इस दौरान हरिहरानंदजी ने जनसभाओं और वर्कशॉप के जरिये लोगों को वृक्षारोपण, साफ-सफाई, मिट्टी और जल संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय और आर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया.
4. पंडित योगेंद्र महंत: नर्मदा घोटाला के मसले पर बीजेपी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी और आगामी 1-15 मई के दौरान 45 जिलों में इस संबंध में रथ यात्रा आयोजित करने की घोषणा की थी. अब विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि उनकी आवाज को शांत करने और मनाने के लिए उनको मंत्री पद का दर्जा दिया गया है.
5. नर्मदानंदजी: मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक गुरू हैं. हनुमान जयंती और रामनवमी के मौकों पर यात्राएं आयोजित करते रहे हैं. पिछले साल राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई शोभा यात्रा आयोजित करवाईं और हनुमान जन्मोत्सव समिति और सनातन धर्म महासभा से जुड़े हैं.