कर्नाटक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश कांग्रेस, सुरजेवाला बोले ‘बेहद खराब न्यायिक मिसाल’ पेश की

नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक के सियासी संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले ने व्हिप को अमान्य करार दे दिया है और उन विधायकों को ‘‘पूर्ण संरक्षण’’ दे दिया है जिन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात किया। उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले ने ‘‘बेहद खराब न्यायिक मिसाल’’ पेश की है।

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 15 असंतुष्ट विधायकों को राज्य विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य ना किया जाए और उन्हें इसमें भाग लेने या ना लेने का विकल्प दिया जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार अपने द्वारा तय की गई अवधि के भीतर असंतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘दुखद है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक जनादेशों को पलटने के लिए दलबदल के अभिकल्पित इतिहास और संदर्भ को नहीं समझा।’’  उन्होंने उच्चतम न्यायालय से उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए भाजपा की अवैध कोशिश को निष्प्रभावी करने के लिए मई 2016 को दिए अपने आदेश को याद करने का अनुरोध किया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन 15 विधायकों के इस्तीफों पर उस समय सीमा के भीतर निर्णय लेंगे जिसे वह उचित समझते हों। पीठ ने कहा कि 15 विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय लेने के अध्यक्ष के विशेषाधिकार पर न्यायलाय के निर्देश या टिप्पणियों की बंदिश नहीं होनी चाहिए और वह इस विषय पर फैसला लेने के लिये स्वतंत्रत होने चाहिए।

इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को उसके समक्ष पेश किया जाए। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उठाए गए बाकी सभी मुद्दों पर बाद में फैसला लिया जाएगा।

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