NMC विधेयक के विरोध में डाक्टरों का प्रदर्शन, सभी सेवाएं रोक दीं

नयी दिल्ली। दिल्ली के एम्स और आरएमएल समेत कई सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट चिकित्सकों ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किए गए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किए और आपात विभागों समेत सभी सेवाएं रोक दीं। अनेक डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया, मार्च निकाले और विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक ‘‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी और अलोकतांत्रिक’’ है। उन्होंने कहा कि यदि विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो वे ओपीडी, आपात विभाग, आईसीयू और ऑपरेशन थियेटरों में काम नहीं करेंगे और अपना विरोध अनिश्चितकाल के लिए जारी रखेंगे। एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों और स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के कारण बृहस्पतिवार सुबह रिंग रोड पर यातायात बाधित हो गया।पुलिस ने उन्हें संसद की ओर मार्च करने से रोक दिया। लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, बी आर अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, डीडीयू अस्पताल और संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। इससे पहले, चिकित्सा जगत के व्यापक विरोध के बीच स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार रात ट्वीट किया कि वह एनएमसी विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश करेंगे। उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि यदि यह ‘‘ऐतिहासिक’’ विधेयक पारित हो जाता है तो इससे ‘‘चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव’’ होंगे। एनएमसी भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह लेगा। यह विधेयक 29 जुलाई को लोकसभा में पारित हुआ था। देश के डॉक्टरों एवं चिकित्सा छात्रों को विधेयक के कई प्रावधानों पर आपत्ति है। आईएमए ने एमएमसी विधेयक की धारा 32 को लेकर चिंता जताई है जिसमें 3.5 गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस देने की बात की गई है। इसके अलावा चिकित्सा छात्रों ने प्रस्तावित ‘नेक्स्ट’ परीक्षा का उसके मौजूदा प्रारूप में विरोध किया है। विधेयक की धारा 15(1) मेंछात्रों के प्रैक्टिस करने से पहले और स्नातकोत्तर चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में दाखिले आदि के लिए ‘नेक्स्ट’ की परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रस्ताव रखा गया है। एम्स, आरएमएल और शहर के अन्य अस्पतालों की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल के संबंध में संबंधित प्रशासनों को बुधवार को नोटिस दिया था। एलएनजेपी के डॉक्टर किशोर सिंह ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘ओपीडी सेवाएं बंद हैं और किसी मरीज के लिए नए कार्ड नहीं बनाए जाएंगे। आपातकालीन विभाग में भी सेवाएं बाधित होने की आशंका है, लेकिन हम प्रबंधन करने की कोशिश करेंगे।’’भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने भी विधेयक की कई धाराओं पर आपत्ति जताई है। आईएमए ने बुधवार को 24 घंटे के लिए गैर जरूरी सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया था। उसने एक बयान में चेताया था कि अगर सरकार उनकी चिंताओं पर उदासीन रहती है तो वे अपना विरोध तेज करेंगे। आईएमए महासचिव आर वी अशोकन ने भी रेजीडेंट डॉक्टरों को समर्थन देने की घोषणा की।हड़ताल के नोटिस के बाद कई अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए आकस्मिक योजनाएं लागू की गई हैं। एफओआरडीए, यूआरडीए और आरडीए-एम्स के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक में एनएमसी विधेयक 2019 का विरोध करने का संकल्प लिया गया था। एम्स आरडीए, एफओआरडीए और यूनाइटेड आरडीए ने संयुक्त बयान में कहा था कि इस विधेयक के प्रावधान कठोर हैं।बयान में कहा गया था कि विधेयक को बिना संशोधन के राज्यसभा में रखा जाता है तो पूरे देश के डॉक्टर कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे जो समूचे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर सकता है। डॉक्टर अनिश्चितकालीन समय के लिए जरूरी और गैर जरूरी सेवाओं को बंद कर देंगे।

Related Articles

Back to top button