राफेल पर 48 घंटे में सरकार का यू-टर्न, कहा-चोरी नहीं लीक हुई फाइल

नई दिल्ली: राफेल डील के बेहद गोपनीय दस्तावेज चोरी होने की बात सुप्रीम कोर्ट में कहकर दुनियाभर में सनसनी और सरकार की किरकिरी कराने के बाद अब सफाई दी गई है। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने राफेल लडाकू विमान सौदे की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेजों को लेकर खुली अदालत में जो कुछ कहा था, बंद लिफाफे में दिए जवाब में उससे पलट गए हैं। वेणुगोपाल ने एक इंटरव्यू में कहा है कि दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं, बल्कि लीक हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने जैसे ही कहा कि राफेल से जुड़ी फाइल चोरी हो गई है वैसे ही बवाल मच गया। पूरी दुनिया में चोरी के नाम पर सरकार की फजीहत होने लगी और विरोधी पार्टी सरकार पर सवालों की मिसाइल दागने लग गई। राहुल गांधी आरोपों का पुलिंदा लेकर सामने आ गए तो लीपापोती करने का दौर शुरू हो गया। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि राफेल की फाइल चोरी नहीं हुई, लीक हुई है। मतलब ओरिजनल डॉक्यूमेंट अभी भी सुरक्षित है।

अटॉर्नी जनरल केके वेनुगोपाल ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि राफ़ेल सौदे से जुड़े दस्तावेज़ चोरी नहीं हुए हैं। उन्होंने जो कुछ कोर्ट में कहा उसका मतलब था कि याचिकाकर्ता ने अपनी अर्ज़ी में असल दस्तावेज़ की फ़ोटोकॉपी इस्तेमाल की थी जिन्हें सरकार ख़ुफ़िया दस्तावेज़ मानती है। दरअसल दो दिन पहले कोर्ट ने पूछा था सरकार से कि राफेल से जुड़ी फाइल मीडिया तक कैसे पहुंच गई तब सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि दस्तावेज चोरी हो गए हैं, जिसके आधार पर रिपोर्ट छापी गई थी।

इसके बाद तो मीडिया से लेकर गली और नुक्कड़ों तक राफेल डील के दस्तावेज चोरी होने की चर्चा होने लगी। सोशल मीडिया पर भी सरकार की बखिया उधेड़ी जाने लगी। राहुल गांधी तो एक कदम और आगे बढ़ गए और कह दिया कि जांच की शुरुआत तो तत्कालीन रक्षा मंत्री पर्रिकर से होनी चाहिए। सरकार समझ नहीं पा रही थी कि उलझे हुए मामले को सुलझाए कैसे। दो दिन में अटॉर्नी जनरल अपने बयान से पलट गए। अब सरकार बता रही है राफेल सौदे से जुड़ी प्रक्रिया के सभी मूल दस्तावेज मतलब ओरिजनल डॉक्यूमेंट मौजूद हैं। अब असल में सच क्या है वो कोर्ट में ही साफ होगा।

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