महाराष्ट्र में आरक्षण पर शहर-शहर आक्रोश, मराठा आंदोलकारियों का आज महाबंद

नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा आंदोलकारियों ने आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। वहीं मराठा आरक्षण का आंदोलन अब हिंसक हो गया है। कई शहरों से आगजनी की खबर है। मराठा आंदोलनकारियों ने सरकार को धमकी दी है कि अगर नौकरियों में मराठाओं को ओबीसी कोटे में आरक्षण नहीं मिला तो आंदोलन की आग पूरे राज्य में जिंदगी की रफ्तार रोक देगी।नवी मुंबई में बीती रात आरक्षण की मांग पर आंदोलनकारी हिंसक हो उठे और टायरों में आग लगाकर ट्रैफिक रोकने की कोशिश की। पुणे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडण्वीस एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। आंदोलनकारी वहां भी पहुंच गये और ऐसा हंगामा किया कि सीएम को कार्यक्रम के बीच से ही जाना पड़ा। परभणी में भी बस डिपो पर हमला किया गया। सड़कों पर खड़ी बस में तोड़फोड़ की गई, आग लगा दी गई।

हंगामें तोड़फोड़ और आगजनी की शुरुआत इस बार औरंगाबाद से हुई। औरंगाबाद में आरक्षण की मांग करने वाले आंदोलनकारी जलसमाधि लेने वाले थे। उनका कहना था कि पहले आरक्षण की व्यवस्था हो उसके बाद कोई भर्तियां हो। पता नहीं कहां चूक हो गई। काका साहेब दत्तात्रेय शिंदे नाम का एक शख्स ने गोदवारी नदी में छलांग लगा दी। उसे नदी से निकालकर अस्पताल ले जाया गया लेकिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। थोड़ी ही देर में उनकी मौत की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई।

शिंदे की मौत के बाद महाराष्ट्र के कई हिस्सों में नये सिरे से प्रदर्शन शुरु हो गया है और विपक्ष के नेताओं ने भाजपा नीत राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की है। परभनी जिले के गंगाखेद तहसील में प्रदर्शनकारियों ने अहमदनगर-औरंगाबाद राजमार्ग जाम कर दिया और पुलिस वाहन एवं बस समेत कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया। प्रदर्शनकारियों ने मराठों के लिए तत्काल आरक्षण की घोषणा तथा शिंदे के परिवार के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की।

बता दें कि साल 2016 में मराठा समुदाय ने आरक्षण के लिए मराठा क्रांति मोर्चा’ बनाया था। इस मोर्चा के तहत ओबीसी कोटे में नौकरी में आरक्षण की मांग की गई। पिछले दिनों सरकार की तरफ से 72 हजार नौकरियों का ऐलान किया गया है लेकिन मराठा संगठनों का कहना है कि पहले रिजर्वेशन मिले फिर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जबकि महाराष्ट्र सरकार कहती है मामला हाईकोर्ट में लंबित है।

सरकार की यही बात आंदोलनकारी समझ नहीं पा रहे। उनका कहना है कि सरकार जानबूझ कर कोर्ट में मामले को लटका रही है। 3 घंटे के हंगामें के बाद ही सरकार को आरक्षण की आग की आंच महसूस हो गई है इसलिए सरकार ने काका साहेब दत्तात्रेय शिंदे के परिवार वालों को 25 लाख देने का ऐलान कर दिया, नौकरी का आश्वासन भी दिया गया लेकिन सवाल है ऐसा क्यों हो रहा है। अलग-अलग राज्यों में बार-बार सियासी पार्टियां ओबीसी कोटे में अलग से आरक्षण का वादा करके क्यों आग से खेलती है।

Related Articles

Back to top button