Home » चार धाम यात्रा: तीरथ सिंह सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

चार धाम यात्रा: तीरथ सिंह सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

नई दिल्ली. उत्तराखंड की चार धाम यात्रा मामले (Char Dham Yatra) में राज्य हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तीरथ सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. उत्तराखंड की तीरथ सिंह रावत की सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने फैसले में चारधाम यात्रा पर 7 जुलाई तक रोक लगा दी थी. कोर्ट ने चार धामों की लाइव स्ट्रीमिंग भी करने को कहा था जिससे श्रद्धालु घर से ही उनके दर्शन कर सकें.

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्थानीय निवासियों के लिए एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को पलटते हुए सोमवार को इस पर रोक लगा दी थी. कोविड-19 के बीच यात्रा के दौरान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष जाहिर करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य मंत्रिमंडल के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को एक जुलाई से हिमालयी धामों के दर्शन की अनुमति दी गई थी.

प्रदेश कैबिनेट की बैठक में लिया गया था ये फैसला
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में 25 जून को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में एक जुलाई से उन जिलों के निवासियों को मंदिरों के दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था जहां वे स्थित हैं. चमोली जिले के निवासियों को बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासियों को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दर्शन की अनुमति दी गई थी .

उच्च न्यायालय ने महामारी के बीच यात्रा संचालन में जोखिम से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह रोक लगाई. यात्रा के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि यह कुंभ मेले के दौरान जारी की गयी एसओपी की प्रतिलिपि भर है.

उच्च न्यायालय ने हालांकि, तीर्थ स्थलों से जुड़ी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उच्च सरकार से मंदिरों में चल रहीं रस्मों और समारोहों का देशभर में सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था करने को कहा.

राज्य सरकार की इस आपत्ति पर कि इन रस्मों का प्रसारण धार्मिक कारणों के चलते सही नहीं होगा, अदालत ने कहा कि वह पुजारियों की भावनाओं के प्रति सहानुभूति रखती है.इसने यह भी कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कुछ लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के बजाय कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप से सबको बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है.

ई-पत्रिका

मनोरंजन

धर्म