वैश्विक तनाव से भारत और दुनिया भर की आर्थिक रिकवरी पर पड़ेगा गंभीर असर: वित्त मंत्री

रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव (Russia-Ukraine conflict) को लेकर वित्त मंत्री (finance minister) निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि दुनिया भर में जारी तनाव से महामारी के बाद भारत और दुनिया भर की अर्थव्यवस्था (economy) में आ रही रिकवरी पर गंभीर असर देखने को मिलेगा. उन्होने कहा कि मानवता के लिये और अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी को मजबूत बनाने के लिये कदम उठाने की जरूरत है. उन्होने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शांति को कभी इतना खतरा उत्पन्न नहीं हुआ, रूस-यूक्रेन घटनाक्रम भारत की विकास आकांक्षाओं के लिये चुनौती बन कर सामने आया है. फिलहाल रूस की सेनाएं यूक्रेन की सीमा के अंदर हैं और तनाव लगातार बढ़ रहा है और इसी वजह से यूरोपियन और अमेरिकी देशों ने रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. जिससे आर्थिक रिकवरी पर फिर से असर पड़ने का आशंका बन गई है.

भारत की ग्रोथ के सामने नई चुनौती

एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि देश की ग्रोथ के साथ एक नई चुनौती खड़ी है. और दूसरे विश्व युद्ध के बाद से दुनिया भर में इस तरह का तनाव कभी देखने को नहीं मिला है. डर है कि सिर्फ भारत की ही नहीं दुनिया भर की आर्थिक रिकवरी पर काफी बुरा असर देखने को मिल सकता है.मानवता के लिये जरूरी है कि रिकवरी बिना किसी रुकावट के जारी रहनी चाहिये. यूक्रेन पर हमले के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है. और कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं. इससे भारत के आयात बिल में तेजी देखने को मिल सकती है जिससा असर अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक साबित होने की आशंका जताई गई है.

संकट का भारत पर पड़ेगा बुरा असर

नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया में, भारत इस तनाव की वजह से सबसे बड़े नुकसान पहुंचने वाले देशों में से एक हो सकता है. रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, तेल और खाने की कीमतों में स्थायी इजाफे से एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर बुरा असर पड़ने की उम्मीद है. इसमें ज्यादा महंगाई, कमजोर करंट अकाउंट और फिजकल बैलेंस और आर्थिक ग्रोथ पर असर होगा. भारत फिलहाल महामारी के असर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. सरकार फिलहाल खर्च बढ़ाकर मांग बढ़ाने की कोशिश में है. हालांकि महंगाई बढ़ने से सरकार के पास साधन सीमित रह जायेंगे और मांग बढ़ाने की कोशिशों पर बुरा असर देखने को मिलेगा.

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