यरूशलम की अल-अक्सा मस्जिद में फिर हिंसा

रमजान के महीने में 15 अप्रैल (शुक्रवार) को इजरायल के यरूशलम से खबर आई कि अल-अक्सा मस्जिद क्षेत्र में फिलिस्तीनियों और इजरायली सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुए हैं। इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना में 60 से अधिक फिलिस्तीनी घायल हो गए हैं। अगर आपने गौर किया होगा तो देखा होगा कि कुछ-कुछ दिनों पर ऐसे झड़पों की रिपोर्ट्स आती रहती हैं।

अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम धर्म मानने वालों के लिए एक पवित्र जगह है। इसे हरम-अल शरीफ के नाम से भी जाना जाता है। यह इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह मानी जाती है। माना जाता है कि इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद ने यहां नमाज पढ़ा था। लेकिन अल-अक्सा मस्जिद को समझने के लिए आपको टेंपल माउंट और वेस्टर्न वॉल को भी समझना होगा। टेंपल माउंट वो जगह है जहां यहूदी, इसाई और मुसलमान हजार सालों से पूजा करते आ रहे हैं।पैगंबर मुहम्मद की मौत के करीब चार साल बाद मुस्लिमों ने यरूशलम पर हमला कर उसे जीत लिया। इन लोगों ने बाद में यरूशलम में मस्जिद बनवाई और उसका नाम रखा- अल अक्सा। इस मस्जिद के सामने है एक गुंबद वाली इस्लामिक इमारत- डोम ऑफ दी रॉक। इसके ठीक सामने एक छोटे आकार की इमारत है जिसे कहते हैं डोम ऑफ दी चेन। माना जाता है कि डोम ऑफ दी रॉक के अंदर एक पत्थर या चट्टान जैसा रखा हुआ है। मान्यता है कि उसी चट्टान पर चढ़कर पैगंबर मुहम्मद जन्नत की यात्रा पर गए थे। माना जाता है कि बराक घोड़े ने उसी चट्टान से स्वर्ग के लिए अपनी उड़ान भरी थी। ऐसे में इसे भी इस्लाम में बहुत पवित्र माना जाता है।अब डोम ऑफ दी चेन के बारे में समझिए। इसके बारे में स्थानीय वक्फ बोर्ड का कहना है कि डोम ऑफ दी रॉक को बनाने वालों लोगों के आराम करने के लिए डोम ऑफ दी चेन बनाया गया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि डोम ऑफ दी चेन, डोम ऑफ दी रॉक का एक प्रोटोटाइप था।

यहां यहूदियों का मानना है कि इजरायली रियासत के राजा सोलमन इस डोम ऑफ दी चेन में बैठक फैसला सुनाया करते थे। ऐसे में यहूदी लोग डोम ऑफ दी चेन क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हैं।

इस्लामी मान्यता के मुताबिक कयामत के दिन डोम ऑफ दी चेन को क्रॉस करने वाले लोग ही जन्नत को जाएंगे। इस पूरे परिसर को जिसमें अल-अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ दी रॉक, डोम ऑफ दी चेन और वेस्टर्न वॉल शामिल हैं, टेंपल माउंट कहा जाता है। वेस्टर्न वॉल यहूदी धर्म के लोगों के लिए पवित्र है और वो अब उसी की पूजा करते हैं। तो पहले क्या करते थे?

माना जाता है कि यरूशलम में इस्लाम और ईसाई धर्म के आने से पहले इसी वेस्टर्न वॉल के पास और टेंपल माउंट में यहूदियों का पवित्र मंदिर था। चूंकि अब मंदिर नहीं है तो ऐसे में वह दीवार के पास ही पूजा करते हैं। बता दें कि टेंपल माउंट में आने के कुल 11 दरवाजे हैं। इसमें से 10 मुस्लिमों के लिए आरक्षित हैं और सिर्फ एक दरवाजा यहूदी समुदाय के लिए आरक्षित है, जिस दरवाजे के रास्ते वह वेस्टर्न वॉल तक पहुंचते हैं।

इस्लाम का दावा वेस्टर्न वॉल पर भी है। माना जाता है कि बराक घोड़े को इसी दीवार से बांधा गया था और इस्लाम में इस दीवार को बराक वॉल कहा जाता है।

टेंपल मौत परिसर में ईसाई धर्म के लोगों का दावा है। इस्लाम और ईसाई धर्म के आने से पहले यरूशलम में सिर्फ यहूदी थे। ईसा मसीह यहूदी परिवार में ही पैदा हुए थे और उन्हें यरूशलम में ही मौत की सजा सुनाई गई थी। ईसाई मानते हैं कि ईसा मसीह ने इसी शहर में अपना उपदेश दिया और यहीं उन्हें सूली चढ़ाया गया और यहीं पर वो दोबारा जी उठे। ईसाई यह भी मानते हैं कि एक दिन फिर यरूशलम आएंगे। ऐसे में यरूशलम और टेंपल माउंट का क्षेत्र ईसाईयों के लिए भी बेहद पवित्र है।

इस पूरे क्षेत्र पर यहूदी लोगों का सबसे पुराना दावा है। इस्लाम के आने से पहले यहां यहूदी और ईसाई लोगों के बीच विवाद था। बाद में इस्लाम के आने के बाद यह लड़ाई यहूदी और इस्लाम के बीच अधिक दिखने लगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईसाई लोगों का इस क्षेत्र पर दावा नहीं है। ईसाई लोगों के लिए भी यह क्षेत्र पवित्र है।

यहूदी लोगों की मान्यता है कि सबसे पहले उन्होंने यहां मंदिर की स्थापना की थी जिसे बेबीलोनियंस ने तबाह कर दिया। बाद में यहूदियों ने फिर से मंदिर बनाया गया जिसे रोमन साम्राज्य ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच युद्ध हुआ जिसे ईसाईयों ने जीत लिया लेकिन यह जीत लंबे वक्त के लिए नहीं रही। करीब सौ सालों के बाद मुस्लिमों ने इस क्षेत्र को जीत लिया। इसके बाद इस क्षेत्र में अब तक करीब-करीब मुस्लिमों का कंट्रोल रहा है। 1948 में इजरायल की आजादी के बाद से पूरे इजरायल पर यहूदियों का शासन है। आजादी के बाद से यहूदियों ने टेंपल माउंट वाले परिसर पर अपना दावा और मजबूती से करने लगे लेकिन मौजूदा वक्त पर किसका किस क्षेत्र में कंट्रोल है, यह आपको पता है।

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