भारतीय वायुसेना में शामिल हुए आठ अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, ये हैं इसकी खूबियां

पठानकोट: भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए आठ अमेरिका निर्मित अपाचे एएच-64ई लड़ाकू हेलीकॉप्टर को आज आईएएफ में शामिल किया गया। एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन में आयोजित होने वाले इस समारोह के मुख्य अतिथि थे। अपाचे एएच-64ई दुनिया के सबसे उन्नत बहु-भूमिका वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर है और अमेरिकी सेना इसका इस्तेमाल करती है। आईएएफ ने अपाचे हेलीकॉप्टर के लिए अमेरिकी सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ सितम्बर 2015 में कई अरब डॉलर का अनुबंध किया था।

इसके तहत बोइंग ने 27 जुलाई को 22 हेलीकॉप्टर में से पहले चार हेलीकॉप्टर दिए गए थे। कई अरब डॉलर का अनुबंध होने के करीब चार वर्ष बाद हिंडन एयर बेस पर भारतीय वायुसेना को अपाचे हेलीकॉप्टरों के पहले बैच की डिलीवरी की गई थी।

280 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकने वाले इस हेलिकॉप्टर में 30 मिलीमीटर की दो गन हैं। अपाचे हेलिकॉप्टर की फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है। ये एक बार में तीन घंटे तक उड़ सकता है। इस हेलीकॉप्टर से दुश्मन के ठिकाने पर दिन हो या रात किसी भी समय हमला किया जा सकता है।

60 फुट ऊंचे और 50 फुट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट जरूरी हैं। अपाचे हेलीकॉप्टर हर तरह के मौसम में काम करने में सक्षम है और सबसे बड़ी बात ये है कि ये हेलीकॉप्टर दुश्मन के रडार में भी नहीं आता। अपाचे हेलीकॉप्टर हवा से हवा में ही किसी भी तरह के ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।

टारगेट पर अचूक निशाना लगाने के लिए इस हेलीकॉप्टर में एक खास तरह का हेलमेट डिजाइन किया गया है। इस हेलमेट में डिसप्ले सिस्टम लगा होता है। हेलमेट से पायलट या गनर ऑटोमेटिक M230 चेन गन लगा सकता है जिसके बाद वो अपने सिर को हिलाकर फायरिंग कर सकता है। साथ ही इसमें दो T700 टर्बोशाफ्ट इंजन लगाए गए हैं।

दो इंजन लगे होने की वजह से इसमें बैठे दोनों पायलट हेलीकॉप्टर को उड़ा सकते हैं या फिर एक इंजन के खराब होने की स्थिति में दूसरे इंजन से इसे उड़ाया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर में बैठने वाले पायलट की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है। इसके कॉकपिट में ऐसी शील्डिंग की गई है जिसकी वजह से इसे भेदना मुश्किल हो जाता है। इसका डिजाइन भी बेहद खास है। इसके लैंडिंग गियर, सीट और फ्यूल सिस्टम, बॉडी को ऐसा डिजाइन दिया गया है जिससे इसे क्रेश होने से बचाया जा सके।

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