मोदी-शाह की जोड़ी ने वसुंधरा को शर्मनाक हार से बचाया

जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 का परिणाम भाजपा के लिए एक सबक तो दे दिया, चाहे करोड़ों रुपये विज्ञापनों में खर्च कर दो, लेकिन जनता का आदेश सर्वोपरि होता है। जनता समझ जाती है कि सरकार ने मीडिया को खरीद लिया है और करोड़ों रुपयों के विज्ञापन सिर्फ इसलिए दिए जा रहे है कि राज्य सरकार के खिलाफ कोई खबर ना चले, सिर्फ मुख्यमंत्री का गुणगान होता रहे।

यह चुनाव भाजपा के लिए इस बात का भी सबक है लाभार्थी-लाभार्थी कहकर, केंद्र और राज्य की योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाने के बाद जिस तरह से राजनीतिकरण हुआ। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि लाभार्थी वोट इससे नाराज हुआ, लाभार्थी वर्ग को राजनीति पसंद नहीं है। लाभार्थियों का कहना है कि यह तो चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, राज्य सरकारों का ड्यूटी है कि वह समाज के कमजोर और पिछड़े तबकों तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाये।
वहीं चुनाव के वक्त सीएम वसुंधरा राजे ने ट्वीट करके 44 लाख युवाओं को रोजगार देने का अवसर देने की बात कही । यह आंकड़ा भी युवाओं को नहीं लुभा सका। हकीकत प्रदेश के युवा जानते है साथ ही 5000 रुपये बेरोजगारी भत्ते का लालच भी उन्हें ललचा नहीं सका।

साथ ही यह बात सामने आई है कि प्रदेश की जनता सीएम वसुंधरा राजे से नाराज थी, भले ही मुख्यमंत्री ने हर विधानसभा क्षेत्र को पिछले पांच साल में कवर किया हो, लेकिन सिर्फ लाभार्थी वर्ग के सहारे चुनाव नहीं जीता सकता है। सरकारी कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, कंप्यूटर शिक्षक, बेरोजगार युवा, यह सभी सरकार की घोषणाओं से परेशान दिखे, कि कुछ मिला तो नहीं लेकिन ढिढ़ोरा पीटा गया। राजनीतिक पंडितों की माने तो अगर सीएम वसुंधरा राजे शर्मनाक हार से बची है, तो वह सिर्फ पीएम मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा संगठन की वजह से बची है। पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने ताबड़तोड़ जनसभाएं की और भाजपा के पक्ष में मत और समर्थन मांगा। इसके चलते भाजपा शर्मनाक हार से बच गई, नहीं तो पूर्ववर्ती गहलोत सरकार जैसा 21 सीटों वाला हाल हो जाता।

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