कोरोना से निपटने के लिए ‘पीएम केयर्स फंड’ से राज्यों की मदद करे केंद्र: शिवसेना

नयी दिल्ली। कोविड​​-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का राजनीतिकरण नहीं किये जाने की बात पर जोर देते हुए शिवसेना ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह राज्यों को कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने में उनकी मदद करने के लिए ‘पीएम केयर्स फंड’ से धन जारी करे और जीएसटी के उनके हिस्से का भुगतान करे। राज्यसभा में कोरोना वायरस महामारी और इससे निपटने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा के दौरान, शिवसेना के संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस महामारी के नियंत्रण के लिए किये गये उपायों के संदर्भ में राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे सहित कुछ भाजपा नेताओं द्वारा की गई आलोचना से असहमति जताई। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में कोविड ​​से 30,000 से अधिक लोग स्वस्थ हुए हैं। यह कैसे हुआ ? केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि क्या वे लोग भी भाभी जी पापड़ खाने से ठीक हो गए? मेघवाल अपने एक बयान को लेकर विवाद में आये थे कि पापड़ के एक ब्रांड भाभी जी पापड़ में प्रयोग होने वाली सामग्रियों से कोविड​​-19 से लड़ने के लिए शरीर मेंआवश्यक एंटीबॉडी के निर्माण में मदद मिलती है।

राउत ने आगे कहा कि सभी राज्य महामारी से निपटने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि विपक्ष शासित राज्य जैसे महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली खराब प्रदर्शन कर रहे हैं, और केवल भाजपा के नेतृत्व वाले राजग शासित राज्य इस लड़ाई में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमें एक दूसरे पर उंगलियां नहीं उठानी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि शिवसेना इस बात पर कायम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोविड के खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए। राउत ने आरोप लगाया कि एक सितंबर से, केंद्र ने महाराष्ट्र सरकार पर 350 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डालते हुए, पीपीई किट और मास्क जैसे चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति बंद कर दी है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र चाहता है कि राज्य अपने दम पर कोविड की लड़ाई लड़े तो उसे सभी राज्यों के बकाया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के हिस्से का भुगतान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम केयर फंड भी सभी राज्यों के लिए है, और उनके हिस्से का धन जारी किया जाना चाहिए। उनकी पार्टी की सहयोगी, पहली बार सांसद बनीं, प्रियंका चतुर्वेदी ने भी महामारी के खिलाफ लड़ाई का ‘राजनीतिकरण’ किये जाने पर निराशा व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि हर एक राज्य को अपने यहां चिकित्सा उपकरणों का इंतजाम खुद से करने के लिए कहा गया है उन्होंने कहा, यह देखते हुए कि राज्य सरकारें पहले से ही अपने नियत जीएसटी का हिस्सा नहीं मिलने के कारण भारी वित्तीय बोझ का सामना कर रही हैं, तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि राज्य अपनी पहल जारी रखें। चतुर्वेदी अपने चेहरे से मास्क उतार कर बोलना चाहती थीं। हालांकि, उप सभापति हरिवंश के आग्रह पर, उन्होंने इसे वापस चेहरे पर लगाया और चर्चा में भाग लिया। राकांपा के प्रफुल्ल पटेल नेदेश में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और महामारी से निपटने के लिए एक साझा प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी राज्य लॉकडाउन के साथ-साथ अनलॉकिंग प्रक्रिया पर केंद्रीय दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। पटेल ने कहा, जब हम सभी एक साथ लड़ रहे हैं, तो एक-दूसरे पर उंगली उठाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यों के पास धन की कमी है और वे केंद्र से जीएसटी बकाये का भुगतान किये जाने की मांग कर रहे हैं।

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