नक्‍शा विवाद कर आंखें दिखाने वाला नेपाल झुका, भारत के साथ की बातचीत

काठमांडू : नेपाल के नक्शा विवाद (Map dispute) की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने लगी है. दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सोमवार को काठमांडू (kathmandu) में बैठक हुई. वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस बातचीत में भारत की मदद से नेपाल (India and Nepal) में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की गई.  कोरोना महामारी की वजह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा ने भाग लिया. करीब एक घंटे तक चली बैठक में भारत की मदद से नेपाल में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति पर चर्चा की गई. भारत के राजदूत ने आश्वासन दिया कि वह नेपाल की मदद से पीछे नहीं हटेगा और अन्य परियोजनाओं में भी लगातार सहयोग करता रहेगा.

बता दें कि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था. जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है. इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया. जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया. तब से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार चला आ रहा था. इसी बीच नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने 15 अगस्त को पीएम नरेन्द्र मोदी को फोन करके भारत के 74वें गणतंत्र दिवस की बधाई दी थी. जिसके बाद रिश्तों में सुधार होना शुरू हो गया. इस फोन कॉल के बाद दोनों देशों के बीच यह बैठक आयोजित की गई.

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