शिवसेना और BJP में सीट बंटवारे पर हुई बात, उद्दव ने पेश किया ये फॉर्मूला

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से एन पहले नाराज चल रही शिवसेना को साथ लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हर हथकंडा अपना रही है, लेकिन अभी तक वह अपने प्रयोग में सफल नहीं हो पाई है। मीडिया रिपोर्टों के मानें तो सोमवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन किया और प्रदेश में लोकसभा सीटों के बंटवारे की बात कही। लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शाह के सामने एक बड़ी शर्त रख दी।
मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस बातचीत के दौरान उद्धव ने शाह से 1995 के विधानसभा चुनाव में बने फॉर्मूले पर चुनाव लडऩे की बात कही। साल 1995 में महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में शिवसेना ने 169 एवं भाजपा ने 116 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने 138 सीटें जीती थीं।

शिवसेना 73 और भाजपा 65 सीटों पर विजयी रही। यहां निर्दलीय और अन्य के समर्थन से शिवसेना के मनोहर जोशी के नेतृत्व में दोनों दलों ने गठबंधन सरकार का गठन किया। समझा जाता है कि 1995 के सीट साझेदारी का यह फॉर्मूले यदि लागू हो जाता है और दोनों पार्टियों यदि गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में आती हैं तो शिवसेना मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा कर सकती है। अमित शाह लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीटों के बंटवारे पर समझौता चाहते हैं जबकि उद्धव की पहली प्राथमिकता विधानसभा चुनाव है। सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना समय-समय पर यह जाहिर कर चुकी है कि वह कम सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं होगी। वह महाराष्ट्र में ‘बड़ा भाई’ होने का दावा करती आई है।
शिवसेना नेता संजय राउत सोमवार को दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के धरने में शामिल हुए। इसे भाजपा पर दबाव बनाने की एक रणनीति के रूप में देखा गया। शिवसेना भाजपा को यह संदेश देना चाहती है कि उसके विकल्प भी खुले हैं। गौरतलब है कि अमित शाह और शिवसेना प्रमुख के बीच बातचीत ऐसे समय हुई है जब जद-यू के उपाध्यक्ष एवं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिलकर लौटे हैं। समझा जाता है कि प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनावों के लिए उद्धव ठाकरे के सामने सीटों का फॉर्मूला पेश किया है। प्रशांत किशोर ने कथित रूप से महाराष्ट्र की लोकसभा की 48 सीटों में से शिवसेना को 28 सीटों पर चुनाव लडऩे की पेशकश की। जबकि शिवसेना नेता इस प्रस्ताव पर अभी खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं।

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