इमरान खान को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का न्योता नहीं मिलने पर यह बोला पाकिस्तान

कराची: नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को आमंत्रित नहीं करने के भारत के फैसले को पाकिस्तान ने यह कह कर खास तवज्जो नहीं देने की कोशिश की कि भारतीय प्रधानमंत्री की आंतरिक राजनीति उन्हें अपने पाकिस्तानी समकक्ष को आमंत्रित करने की इजाजत नहीं देती। सरकार ने सोमवार को नयी दिल्ली में घोषणा की कि उसने प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण में बिमस्टेक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पाकिस्तान इस क्षेत्रीय समूह का सदस्य नहीं है।

बिमस्टेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) में बांग्लादेश, भारत, म्यामां, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं। खान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण में आमंत्रित नहीं किए जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के साथ ही सियाचिन एवं सर क्रीक विवादों का हल निकालने के संबंध में बातचीत के लिए एक बैठक करना शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा।

चीन को छोड़कर एशिया का हर वो देश शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होगा जिसके साथ भारत की सरहद है लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा। पाकिस्तान चुनाव के दौरान भी और चुनाव के बाद भी सीजफायर का उल्लंघन करता रहा। राष्ट्रपति 30 मई को शाम 7 बजे प्रधानमंत्री और केंद्रीय कैबिनेट के दूसरे सदस्यों को राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे लेकिन सवाल है कि बिमस्टेक देशों को क्यों बुलाया गया और क्यों खास है बिमस्टेक भारत के लिए।

बिमस्टेक का मतलब बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकॉनमिक को-ऑपरेशन होता है। मतलब बंगाल की खाड़ी में बसे वो देश जिनकी सरहद भारत के आसपास है। बांग्लादेश, भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड इसमें शामिल है।

भारत के लिए ये देश इसलिए खास हैं क्योंकि भारतीय कंपनियों को एक बहुत बड़ा बाजार मिलता है और सिर्फ व्यापार ही नहीं चीन की बढ़ती शक्तियों से ये सारे देश परेशान हैं और भारत इन सबके साथ बेहतर संबंध बनाकर बंगाल की खाड़ी में अपनी मजबूत स्थिति में बनाना चाहता है।

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