दिल्ली अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (10 जुलाई) को केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दी गई दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई हुई. दिल्ली की आप (AAP) सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अध्यादेश पर रोक की मांग की. सीजेआई ने कहा कि हम केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं. सीजेआई ने विस्तार से सुनवाई की जरूरत बताते हुए 2 हफ्ते बाद सुनवाई की बात कही. कोर्ट ने उपराज्यपाल के वकील के अनुरोध पर उन्हें भी मामले में पक्ष बनाया.

अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सिंघवी ने कहा कि नई व्यवस्था में दो अधिकारी मिलकर मुख्यमंत्री की बात को काट सकते हैं. उसके बाद मामला उपराज्यपाल को भेज दिया जाएगा, जो सुपर सीएम जैसे हैं. इस पर रोक लगानी जरूरी है. उन्होंने कहा कि इसी अध्यादेश के आधार पर 471 ऐसे लोगों को पद से हटा दिया गया है जिनमें से कई ऑक्सफोर्ड जैसे विश्विद्यालय से शिक्षित हैं. इस पर भी सुनवाई हो. इसपर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को नौकरी दी गई. इस पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न हो. जो प्रभावित हैं, वह हाई कोर्ट जा सकते हैं. ये मांग याचिका में नहीं है. यहां नई बात कही जा रही है.

ये दलीलें सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि हम इस पहलू पर अगले सोमवार (17 जुलाई) को सुनवाई करेंगे. अध्यादेश पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी और 400 से ज्यादा लोगों को नौकरी से लोगों को हटाने के मामले पर अगले सोमवार को सुनवाई होगी.

केंद्र ने जारी किया था अध्यादेश

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनकी पदस्थापना के लिए एक प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था. इस अध्यादेश के जारी किए जाने से केवल एक सप्ताह पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था.

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