Ayodhya Loksabha seat 2024: अयोध्या में क्या राम लहर से पूरा होगा पीएम मोदी का 400 पार
Ayodhya Loksabha seat 2024: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद फैजाबाद लोकसभा सीट पर सबकी निगाह है। जनवरी में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के 5 महीने बाद क्या जनता बीजेपी को वोटकर प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर पीएम की कुर्सी पर बैठाना चाहती है या इंडिया गठबंधन को मौका देगी। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है।
Ayodhya Loksabha seat 2024: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला चुनाव
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद फैजाबाद में यह पहला लोकसभा चुनाव हैं. इस सीट पर 2019 में भाजपा के लल्लू सिंह ने जीत दर्ज की थी। भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जाताया है। वहीं इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी इस सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस सामान्य सीट पर सपा ने अनुसूचित जाति के अवधेश प्रसाद को मैदान में उतारा है।
वहीं बसपा के टिकट पर सच्चिदानंद पांडेय चुनाव मैदान में हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है। अरविंद सेन यादव इस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। वे फैजाबाद से तीन बार सांसद रहे मित्रसेन यादव के बेटे हैं। साल 2019 के चुनाव में अरविंद सेन यादव के भाई आनंद सेन यादव सपा के उम्मीदवार थे। वो लल्लू सिंह से 65 हजार से अधिक वोटों से हार गए थे।
यह सीट पिछले दो बार से भाजपा के कब्जे में है। साल 2019 में भाजपा के लल्लू सिंह ने सपा के आनंद सेन यादव को 65 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। इसी तरह 2014 के चुनाव में लल्लू सिंह ने आनंद सेन यादव के पिता और सपा उम्मीदवार मित्रसेन यादव को दो लाख 82 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से हराया था। वहीं 2009 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी। कांग्रेस के निर्मल खत्री ने सपा के मित्रसेन यादव को 54 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था.
Ayodhya Loksabha seat 2024: अलग रहा है सीट का गणित
फैजाबाद सीट पर पिछले चुनावों पर नजर डाले तो यहां कांग्रेस, सीपीआई, सपा और बीजेपी ने जीत दर्ज कर यह दिखा दिया है कि जातीय और हिंदुत्व के मुद्दे कभी भी स्थाई पकड़ नही बना सके हैं। कांग्रेस के निर्मल खत्री 1984 और 2009 में इस सीट से जीते। वहीं, मित्रसेन यादव ने 1989, 1998 और 2004 में सीपीआई, बीएसपी और सपा के टिकट पर चुनावी जीत दर्ज की। बीजेपी के विनय कटियार ने 1991, 1996 और 1999 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। बीजेपी के लल्लू सिंह ने 2014 और 2019 में मंदिर के साथ मोदी लहर में इस सीट पर जीत हासिल की।
Ayodhya Loksabha seat 2024: फैजाबाद हुआ अयोध्या
13 नवंबर वर्ष 2018 को फैजाबाद जिला व मंडल का नाम बदलकर अयोध्या करने का फैसला किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी वर्ष दीपोत्सव पर जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने की घोषणा की। 12 नवंबर वर्ष 2018 को तत्कालीन कमिश्नर मनोज मिश्र ने जिले के साथ मंडल का नाम अयोध्या करने का प्रस्ताव शासन को भेजा। इसके अगले ही दिन कैबिनेट की बैठक में यह स्वीकार हो गया।
फैजाबाद नाम वर्ष 1722 में वजूद में आया था। रामायण काल में इसका नाम साकेत था। इसी कड़ी में 23 अक्तूबर वर्ष 2021 में फैजाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन का नाम भी बदलकर अयोध्या कैंट कर दिया गया। यह फैसला भी सीएम योगी ने ही लिया। इसके लिए सांसद लल्लू सिंह ने प्रस्ताव सौंपा था। सीएम के निर्णय के बाद इसी वर्ष दो नवंबर को उत्तर रेलवे ने इस पर अपनी मुहर लगा दी।
मोदी सरकार ने भी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के निर्णय पर सहमति दे दी। स्टेशन का कोड भी बदलकर एवाईसी कर दिया गया। यह पहले एफडी हुआ करता था। इस स्टेशन की स्थापना वर्ष 1874 में की गई थी। 18 अक्तूबर वर्ष 2022 को फैजाबाद छावनी का नाम बदलकर अयोध्या छावनी कर दिया गया। रक्षा मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी की। इन घटनाक्रमों के बीच लोकसभा सीट अभी फैजाबाद की स्मृति को जिंदा रखे हुए है।
Ayodhya Loksabha seat 2024: कब किसने मारी बाजी
बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर बनने तक फैजाबाद उत्तर प्रदेश के हमेशा केंद्र में रहा है। जिसके कारण दशकों से लोगों की नजर इसी पर बनी रही है। फैजाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के पन्नालाल यहां से सांसद बने। 1957 में हुए चुनाव में बृजवासी यहां से सांसद बने।
1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस से आरके सिंह यहां से सांसद बने। सिंह 1971 में भी दोबारा सांसद बने। लेकिन 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जय राम वर्मा यहां दोबारा कांग्रेस की वापसी करने में सफल रहे। 1984 में कांग्रेस के निर्मल खत्री सांसद बने। लेकिन1889 चुनाव में मित्रसेन यादव ने चुनाव जीता।
राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। जिसके बाद 1996 में भी विनय कटियार सांसद चुने गए थे। लेकिन 1998 के चुनाव में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा।
1999 में विनय कटियार फिरसे चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्र सेन यादव यहां से चुनाव जीते। 2009 में कांग्रेस के निर्मल खत्री सांसद बने। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह को यहां से उतारा और सफलता मिली। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने जीत दर्ज की थी।
Ayodhya Loksabha seat 2024: 5 विधानसभा सीट आती है फैजाबाद में
फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। जिसमें- दरियाबाद, बीकापुर, रुदौली, अयोध्या और मिल्कीपुर की सीटें शामिल है। दरियाबाद की सीट बाराबंकी जिले में आती है।
2022 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो मिल्कीपुर विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी। वहींं रुदौली बीकापुर अयोध्या और दरियाबाद विधानसभा सीटे भाजपा के खाते में गई थी। इससे पहले हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी, बसपा ,कांग्रेस को यहां मुंह की खानी पड़ी थी।
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Ayodhya Loksabha seat 2024: क्या है जातिगत समीकरण
फैजाबाद लोकसभा सीट की जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो 84 फीसदी हिंदू है। सबसे ज्यादा ओबीसी मतदाता हैं, जिनकी संख्या 26 फीसदी बताई जाती है। इसमें 13 फीसदी के करीब यादव मतदाता है।
सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या 29 फीसदी से अधिक मानी जाती है। भाजपा ने एक बार फिर से लल्लू सिंह भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है। देखना दिलचस्प होगा चुनावी घमासान में भगवान राम किस पार्टी पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे।
पूरे फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र पर यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर है।