युवा रोजगार का उपकरण न बनें : राजनाथ

लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां शनिवार को कहा कि देश की 65 फीसदी आबादी युवा है। युवाओं को सिर्फ रोजगार और विकास तक ही नहीं सीमित रहना चाहिए। उन्हें सिर्फ रोजगार का उपकरण नहीं बनना चाहिए। उसकी राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
राजनाथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में ’21वीं सदी में भारत के विकास में युवाओं की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने ‘स्मृति मंजूषा’ पत्रिका का विमोचन भी किया।
संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए राजनाथ ने कहा कि आज राजनीति की परिभाषा ही बदल दी गई है। कोई नेताओं को चोर तो कोई घूसखोर कहता है और राजनीति की आलोचना करता है, जबकि राजनीति अनंतकाल से होती आई।
उन्होंने कहा, “भगवान राम, श्रीकृष्ण ने भी राजनीति की। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस ने भी राजनीति की थी। उनकी राजनीति में अंतर चरित्र का और मूल्यों के प्रति समर्पण का था।”
राजनाथ ने कहा कि राजनीति अगर भ्रष्ट्र नेता के हाथ में गई तो संपत्ति और अराजक तत्वों के हाथ में विपत्ति का माध्यम बनती है। राजनीति जैसे हाथों में जाएगी वैसी बन जाएगी। इसलिए वर्तमान में युवाओं से अपील है कि समाज में राजनीति की परिभाषा के सही अर्थ को समझाएं और देश को सही मार्ग पर ले जाने वाली राजनीति को पुन: स्थापित करें।
उन्होंने कहा कि एक समय था, जब विश्व में भारत की जीडीपी दर का मजाक उड़ाया जाता था। फिर अटल जी के समय जीडीपी 3.5 से बढ़कर 8.4 तक पहुंची थी। भारत आज भी देश की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है।
राजनाथ ने कहा कि युवा इस विकास के संवाहक बनें। देश के युवाओं का मकसद सिर्फ रोजगार हासिल करना नहीं होना चाहिए। युवाओं चरित्रवान और ज्ञानवान भी होना चाहिए। उन्हें अपने अंदर ज्ञान, शील, एकता का भी समावेश करना होगा।

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