‘पाकिस्तानी सरजमीं से आतंकवादी ठिकानों के खात्मे बिना भारत के साथ उसकी वार्ता निरर्थक’
वॉशिंगटन: ‘आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते’ के भारत के रुख का समर्थन करते हुए अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि दोनों देशों के बीच कोई भी उच्च-स्तरीय बातचीत तब-तक निरर्थक रहेगी जब तक इस्लामाबाद अपनी सरजमीं से आतंकवादी ठिकानों को नहीं हटाता। हक्कानी ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा कि पाकिस्तान की भारत के साथ वार्ता की हालिया पहल को उस पर पड़ रहे आर्थिक एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उनका यह बयान किर्गिस्तान में 13-14 जून को आयोजित हो रहे ‘शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन’ से पहले आया है।
उन्होंने कहा, ‘‘1950 से दिसम्बर 2015 के बीच दोनों देशों के नेताओं ने 45 बार मुलाकात की है लेकिन इन बातचीत से कभी भी स्थायी शांति कायम नहीं हो पाई।’ उन्होंने कहा, ‘‘ वार्ता के दरवाजों को कभी भी स्थायी रूप से बंद नहीं माना जाना चाहिए…..।’’ हक्कानी ‘हडसन इंस्टीट्यूट में ‘दक्षिण और मध्य एशिया’ के निदेशक हैं, जिन्हें पाकिस्तानी शासन और जिहादी विचारधारा का निर्विवाद आलोचक माना जाता है।