क्‍या है सरयू नदी की महत्‍ता, जिसमें मोदी लगाएंगे आस्‍था की डुबकी

Ayodhya News:क्‍या है सरयू नदी की महत्‍ता, जिसमें मोदी लगाएंगे आस्‍था की डुबकी

Ayodhya: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री मोदी भी 11 दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं. इसके लिए वो यम नियमों का पालन कर रहे हैं.. जिसमें फर्श पर कंबल ओढ़कर सोना, नारियल पानी पीना, दान देना और रोजाना गौ-पूजा करना शामिल है. तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या की पवित्र नदी सरयू में स्नान करेंगे. यहां से सरयू का जल लेकर राम मंदिर तक पैदल जाएंगे.

अयोध्‍या के कण-कण में भगवान राम का वास है। अयोध्या नगरी की शोभा का शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है। ऐसे में सरयू नदी का जिक्र न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। अयोध्या की गाथा सरयू नदी के बिना अधूरी है। सरयू नदी भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बहती है। सरयू नदी पवित्र स्थल के रुप में पूजी जाती है। सरयू नदी में ही भगवान राम ने जलसमाधी ली थी।भारतीय शास्‍त्रों में नदियों का बहुत महत्‍व बताया गया है।

भगवान राम ने लक्ष्मण जी को बताया सरयू नदीं का महत्व
सरयू नदी में स्नान के महत्व का वर्णन करते हुए रामचरित मानस में बताया गया है। अयोध्या के उत्तर दिशा में उत्तरवाहिनी सरयू नदी बहती है। एक बार भगवान राम ने लक्ष्मण जी से बताया कि सरयू नदी इतनी पावन है कि यहां सभी तीर्थ दर्शन और स्नान के लिए आते हैं। सरयू नदी में स्नान करने मात्र से सभी तीर्थों में स्थानों को दर्शन करने का पुण्य मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सरयू नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है उसे सभी तीर्थों के दर्शन करने का फल मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरयू व शारदा नदी का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्री राम के पूर्वज भागीरथ ने करवाया था।

कैसे हुआ सरयू नदी का उत्पन्न
पुराणों के अनुसार, सरयू नदी की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई हैं। प्राचीन काल में शंखासुर दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया और खुद भी वहीं छिप गया। इसके बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध कर दिया। फिर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को वेद सौंपकर अपना वास्तविक रूप धारण किया। इस दौरान भगवान विष्णु खुश हो उठे और उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े। ब्रह्माजी ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डालकर उसे सुरक्षित कर लिया। इस जल को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला। यहीं जलधारा सरयू नदी कहलाई।

मानस खंड में सरयू को गंगा और गोमती को यमुना नदी का दर्जा दिया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस प्रकार गंगा नदी को भागीरथी धरती पर लाए थे। उसी प्रकार सरयू नदी को भी धरती पर लाया गया था। भगवान विष्णु की मानस पुत्री सरयू नदी को धरती पर लाने का श्रेय ब्रह्मर्षि वशिष्ठ को जाता है।

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