भगवान के आगमन को लेकर अयोध्‍या में कड़ी सुरक्षा, पुलिस के जवान के साथ चप्पे-चप्पे पर फैले यूपी ATS के जवान

Ayodhya News:भगवान के आगमन को लेकर अयोध्‍या में कड़ी सुरक्षा, पुलिस के जवान के साथ चप्पे-चप्पे पर फैले यूपी ATS के जवान

Ayodhya: 22 जनवरी के दिन रामनगरी अयोध्या में महौल को पूर्ण रूप से राममय बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

इसी क्रम में अयोध्या की सुरक्षा व्यावस्था को चाक-चौबंद बनाने हेतु रामलला के घर अयोध्या में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जायेगी। कुल तीन चरणों में पुलिस के जवानों के तैनाती शहर भर में की जायेगी। जिसके तहत पहले चरण में 347 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। अगर दूसरे चरण की बात करें तो 12 जनवरी और 18 को तीसरे चरण के तहत प्रदेशभर के जवानों को अयोध्या में बुलाया जायेगा।

इस समय अयोध्या पूरे विश्व का मुख्य केंद्र बिंदु है। इस लिहाज से धर्मनगरी अयोध्या की सुरक्षा और भी जरूरी हो जाती है। सात सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या को सुरक्षा घेरे में लिया हुआ है। शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस और जांच एजेंसियों ने निगरानी बढ़ा दी है। जिले की सीमा पर हर आने-जाने वाले वाहन की जांच और सघन तलाशी की जा रही है।  राज्य के अन्य जिलों से कुल 100 उपाधीक्षक, 300 निरीक्षक, 800 उपनिरीक्षक व 4500 मुख्य आरक्षी व आरक्षियों की मांग की गई है वहीं केंद्र के गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सीआरपीएफ, सीएएफ, एनआईए, एसटीएफ के जवान भी अयोध्या में मोर्चा संभालेंगे।

राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही अयोध्या को फुलप्रूफ सुरक्षा घेरे से मजबूत किया जा रहा है। यूपी पुलिस शहर में 360-डिग्री सुरक्षा कवरेज देने की तैयारी कर रही है। शहर की सुरक्षा के लिए AI पर आधारित ड्रोन भी तैनात किए गए हैं। एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) के जवान बाइक आदि पर सवार होकर भी शहर की पहरेदारी कर रहे हैं।

क्या है एटीएस और कहां होती है तैनाती

यूपी पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2007 में एंटी-टेरर स्क्वाड की स्थापना की थी, ताकि राज्य में आतंकी गतिविधियों से निपटा जा सके. यूपी का एंटी-टेरर स्क्वाड 2007 से ही ऑपरेशनल है और ये यूपी पुलिस की स्पेशल यूनिट के तौर पर काम करता है. राजधानी लखनऊ में एटीएस का मुख्यालय स्थित है. राज्य के अलग-अलग जिलों में फील्ड यूनिट्स भी बनाई गई हैं, जहां कई सारे ऑपरेशनल एटीएस कमांडो की टीम होती है.

ऑपरेशन टीमों और फील्ड यूनिट्स को सटीक और जरूरी मदद देने के लिए अन्य स्पेशल यूनिट्स एटीएस मुख्यालय में काम कर रही हैं. एटीएस की आमतौर पर तैनाती उन जगहों पर की जाती है, जहां आतंकी गतिविधियों की आहट होती है. इसके अलावा वीवीआईपी लोगों की जहां भीड़ जुटने वाली होती है, वहां भी उनकी सुरक्षा के लिए एटीएस कमांडो को तैनात किया जाता है. यूपी में माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कई बार एटीएस कमांडो को तैनात किया गया है.

कैसे होती है एटीएस कमांडो की ट्रेनिंग

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, जवानों को तीन एग्जाम भी देते हैं, जिसमें फिजीकल कैपेसिटी, मेंटल एबिलिटी और टेक्निकल और जनरल नॉलेज टेस्ट शामिल है. शुरुआती परीक्षाओं को पास करने वाले जवानों को एटीएस ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. राज्य के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर्स पर यूपी एटीएस कमांडो तैयार किए जाते हैं. ज्यादातर मौकों पर कमांडो ट्रेनिंग सेंटर्स में बदलाव होता रहता है. कमांडो को रोटेशन के तहत ट्रेनिंग भी दी जाती है.

वहीं, कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी एटीएस कमांडो की ट्रेनिंग को चार हिस्सों में बांटा गया है. इसमें पहले चार हफ्ते प्री-इंडक्शन कोर्स होता है, जहां सभी जरूरी जानकारी दी जाती है. फिर अगले चार हफ्ते आर्मी अटैचमेंट होता है. इसके बाद 14 हफ्तों का बेसिक इंडक्शन कोर्स होता है और आखिर में आठ हफ्तों का अडवांस्ड कोर्स होता है. एटीएस कमांडो बनने के लिए सरकार की तरफ से पुलिस और पीएसी के जवानों से एप्लिकेशन मांगे जाते हैं.

ट्रेनिंग के दौरान जवानों को आधुनिक हथियार चलाना, उबड़-खाबड़ जमीन पर कूदना, टारगेट शूटिंग, मार्शल आर्ट्स जैसी चीजें सिखाई जाती हैं. जवानों के स्ट्रेस लेवल भी ट्रेनिंग के दौरान चेक किया जाता है. बिना हथियार के लड़ना और चाकू से हमला होने पर दुश्मन से किस तरह से निपटा जा सकता है, ये चीजें भी ट्रेनिंग में सिखाई जाती हैं. यूपी एटीएस कमांडो की ट्रेनिंग कुछ हद तक एनएसजी कमांडो की तरह की होती है.

 

Related Articles

Back to top button