Supreme Court issues notice to ED: केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED को जारी किया नोटिस

24 अप्रैल तक जवाब देने को कहा

 

Supreme Court issues notice to ED: केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED को जारी किया नोटिसSupreme Court issues notice to ED: आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया है. ईडी को 24 अप्रैल तक जवाब देना होगा. इसके साथ ही केजरीवाल को 26 अप्रैल तक ईडी के जवाब पर प्रति उत्तर देना है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

तत्‍काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा उनकी गिरफ्तारी अविश्वसनीय दस्तावेज पर आधारित है. ईडी के पास ऐसी कोई सामग्री जिसे आधार बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया जा सके. इसके साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि उन्हें प्रेरित तरीके से गिरफ्तार किया गया है. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही ठहराया था. इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी. केजरीवाल ने इसे अवैध बताया था.

केजरीवाल की याचिका के आधार

केजरीवाल की याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव के बीच में और खासतौर पर चुनाव की घोषणा के बाद सोची समझी साजिश के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने द्वारा धारा 19 पीएमएलए के तहत अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया है.

गिरफ्तारी पूरी तरह से सह-अभियुक्तों के बाद के विरोधाभासी और देर से दिए गए बयानों के आधार पर की गई, जो अब सरकारी गवाह बन गए हैं. याचिका में कहा कहा है कि ऐसे बयान और सामग्री पिछले 9 महीनों से ईडी के पास थी बावजूद इसके केजरीवाल को चुनाव के बीच में अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया.

गिरफ्तारी के आधार पर जिन बयानों पर भरोसा किया गया है वो 7 दिसंबर 2022 से 27 जुलाई, 2023 तक ईडी द्वारा दर्ज किए गए थे. उसके बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई और सामग्री एकत्र नहीं की गई है. गिरफ्तारी के लिए याचिकाकर्ता को “दोषी” मानने के लिए “विश्वास करने का कारण” या “कब्जे में मौजूद सामग्री” का कोई कानूनी या तथ्यात्मक आधार नहीं था. ऐसे में केजरीवाल की गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं थी.

वह सामग्री जो विश्वास करने का कारण बनाती है वह दो भागों में है. (ए) सी. अरविंद (बी) मगुंटा रेड्डी और (सी) सरथ रेड्डी के बयानों में दावा किया गया है कि वो याचिकाकर्ता से मिले हैं. माना जाता है कि अन्य दो यानी (ए) बुची बाबू और (बी) राघव मगुंटा ने याचिकाकर्ता के साथ कोई बातचीत नहीं की है. सी. अरविंद, मगुंटा रेड्डी और सारथ के बयानों से दूर-दूर तक यह संकेत नहीं मिलता है कि याचिकाकर्ता ने एस. 3 पीएमएलए के दायरे में कोई कमीशन या चूक का काम किया है. इनके बयान याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी तरह का कोई अपराध नहीं बनाते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट फैसले में इस बात को समझने में विफल रहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के बयानों को पूर्ण सत्य नहीं माना जाता है और अदालतें हमेशा उन पर संदेह कर सकती हैं. धारा 164 का उपयोग कभी भी तथ्यों की सच्चाई के ठोस सबूत के रूप में नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसका उपयोग विरोधाभासों और इसे बनाने वाले गवाह की पुष्टि के लिए किया जा सकता है.

हाईकोर्ट यह समझने में विफल रहे कि ये बाद के विरोधाभासी और देर से दिए गए बयान जमानत और दोषमुक्ति के लालच से लिए गए हैं.

ईडी के पास ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसके आधार पर धारा 19 पीएमएलए के तहत अपराध का अनुमान लगाया जा सके.

SC को मामले पर तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है, क्योंकि स्वतंत्रता में अवैध कटौती के मुद्दे के अलावा, याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ और ‘संघवाद’ पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर एक अभूतपूर्व हमला है. और यह दोनों संविधान की मूल संरचना के महत्वपूर्ण घटक हैं.

ईडी ने अपनी प्रक्रिया को निहित स्वार्थों द्वारा उत्पीड़न के साधन के रूप में उपयोग और दुरुपयोग करने की अनुमति दी है, ताकि ना केवल आम चुनाव, 2024 के बीच ऐसे निहित स्वार्थों के लिए राजनीतिक विरोधियों की स्वतंत्रता पर आक्रमण किया जा सके, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को भी धूमिल किया जा सके.

याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी भारत में चुनावी लोकतंत्र के भविष्य के लिए गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव डालती है, क्योंकि यदि याचिकाकर्ता को आगामी चुनावों में भाग लेने के लिए तुरंत रिहा नहीं किया जाता है, तो यह सत्तारूढ़ दलों के प्रमुखों को गिरफ्तार करने के लिए कानून में एक मिसाल स्थापित करेगा.

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हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट 10 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल को राहत न देते हुए उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहराया था. साथ ही कोर्ट ने केजरीवाल के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी लोकसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई है. कोर्ट का कहना था कि 6 महीने में ईडी की तरफ से केजरीवाल को 9 समन भेजे गए लेकिन वह पेश नहीं हुए. कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल ने ईडी के समन का पालन नहीं किया था उनकी गिरफ्तारी का सबसे बड़ी वजह यही है. कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी उनके सहयोग न करने का नतीजा है. दिल्ली उच्च न्यायालय से किसी भी तरह की राहत से इनकार करने के बाद 10 अप्रैल को केजरीवाल ने ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था. ईडी का आरोप है कि केजरीवाल ने शराब व्यापारियों से लाभ के बदले में रिश्वत मांगी थी, इसके अलावा, केजरीवाल पर AAP नेताओं, मंत्रियों और अन्य लोगों की मिलीभगत से अब रद्द की गई नीति में मुख्य साजिशकर्ता और किंगपिन होने का आरोप लगाया गया है. वहीं केजरीवाल ने ईडी के इन आरोपों से साफ इनकार किया है. केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और केंद्र पर जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

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