छह देश अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई बने ब्रिक्स के नए सदस्य

Johansberg: भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, चीन और रूस की सदस्‍यता वाले ब्रिक्‍स में अब नए देशों के शामिल होने का रास्‍ता साफ हो गया है। दक्षिण अफ्रीका राष्‍ट्रपति के मुताबिक मिस्र, इथोपिया, सऊदी अरब, आर्जेंटीना, सऊदी अरब और ईरान यानि कुल 6 देश ब्रिक्‍स के नए स्‍थायी सदस्‍य देश बनने जा रहे हैं। इनकी सदस्‍यता 1 जनवरी 2024 से प्रभावी होगी। बताया जा रहा है कि भौगोलिक फैक्‍टर को नए सदस्‍यों के चुनाव के दौरान सबसे ज्‍यादा महत्‍व दिया गया है। इसके जरिए यह कोशिश की गई है कि ब्रिक्‍स के अंदर क्षेत्रीय संतुलन बना रहे है। चीन ब्रिक्‍स में अपने समर्थक देशों को शामिल कराना चाहता था ताकि इस संगठन को जी-7 के खिलाफ खड़ा किया जा सके। हालांकि भारत ने रूस के साथ मिलकर उसकी मंशा पर पानी फेर दिया।

इंडोनेशिया ने ब्रिक्‍स में शामिल होने से मना किया

दक्षिण अफ्रीका ने इसके अलावा यूएई और ईरान का भी समर्थन किया था। इंडोनेशिया ने अंतिम मौके पर ब्रिक्‍स में शामिल होने से मना कर दिया। ईरान का रूस ने खुलकर समर्थन किया था जिसे ब्राजील से भी मंजूरी मिल गई। ईरान इन दिनों रूस को जमकर हथियार और ड्रोन बेच रहा है। हालांकि ईरान के खिलाफ पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों की वजह से वह ब्रिक्‍स के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ईरान को लेकर पूरे समूह के अंदर काफी देर त‍क बहस चली।

ब्रिक्‍स में सबसे बड़ा उलटफेर सऊदी अरब कर सकता है। सऊदी अरब के कई नेता और राजकुमार ब्रिक्‍स की सदस्‍यता को देखते हुए बुधवार सुबह को दक्षिण अफ्रीका पहुंच गए हैं। सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्‍ते इन दिनों अच्‍छे नहीं चल रहे हैं। सऊदी अरब भारत का दोस्‍त है लेकिन अभी चीन और रूस के साथ दोस्‍ती बढ़ा रहा है। मिस्र के रणनीतिक महत्‍व को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका ने उसका समर्थन किया है। इससे पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने बुधवार को ब्रिक्स समूह के संभावित विस्तार पर बंद कमरे में चर्चा की थी।

PM मोदी ने ब्रिक्स के नए सदस्यों का स्वागत किया
जिन देशों को ब्रिक्स का न्योता मिला है, उन्हें PM मोदी ने बधाई दी। उन्होंने कहा- भारत ने ब्रिक्स में विस्तार का हमेशा समर्थन किया। इन सभी देशों से हमारे गहरे और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। मुझे खुशी है कि 3 दिन की बैठक में कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

PM मोदी ने पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठनों का नाम लिए बगैर कहा- ब्रिक्स का विस्तार ये जाहिर करता है कि दुनिया के बड़े संगठनों को समय के साथ बदलना चाहिए। वहीं, जो भी देश पहले फेज में इस संगठन से नहीं जुड़ पाए हैं, उनको इसकी सदस्यता दिलाने के लिए भारत अपना योगदान देगा।

PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

  • जब हम ग्लोबल साउथ का प्रयोग करते हैं तो ये केवल डिप्लोमेटिक शब्द है। हमने भेदभाव का मिलकर विरोध किया है। गांधी ने साउथ अफ्रीका में ही अश्वेतों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने नेल्सन मंडेला को प्रेरित किया।
  • भारत ने अफ्रीका के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है। 16 नए दूतावास खोले हैं। चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। एजेंडा-2063 के तहत अफ्रीका को दुनिया का ग्लोबल पावर हाउस बनाने में भारत साझेदार है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मून मिशन पर हमें बधाइयां मिल रही हैं। इसे किसी एक देश की सफलता नहीं, बल्कि मानवता की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।
  • भारत के वैज्ञानिकों को पूरी दुनिया से बधाई मिल रही है। चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर लैंडिंग सिर्फ भारत नहीं बल्कि दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए बड़ी सफलता है।
  • आतंकवाद से लड़ाई में हम अफ्रीकी देशों के साथ हैं, कोविड में हमने अफ्रीकी देशों को वैक्सीन और खाद्य पदार्थ दिए। भारत दुनिया के सभी देशों को परिवार के रूप में देखता है।

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